मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा पूजन के चौथे दिन कराया फलाधिवास व पुष्पाधिवास
– पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, सुख, धन-धान्य आदि को प्राप्त करता है, देवपूजन से भी अधिक महत्व पितृपूजन का होता है – स्वदेश स्वरुप जी महाराज वृंदावन वाले
– फलाधिवास का अर्थ है कि सृष्टि में कर्म फल स्थापित है अर्थात जो अर्पण करेंगे, उसका प्रतिरूप हमें प्राप्त होगा व पुष्पाधिवास से प्रतिष्ठा, संपदा, समृद्धि, उन्नति और यौवन की प्राप्ति होती है – अनिल, मुख्य पुजारी
बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन
श्री शनि धाम एवं श्री खाटू श्याम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में चौथे दिन भगवान की प्रतिमाओं का फलाधिवास व पुष्पाधिवास कराया गया। मंदिर के मुख्य पुजारी अनिल जी ने दोनो अधिवासों के बारे में बताया कि फलाधिवास का अर्थ है कि सृष्टि में कर्म फल स्थापित है अर्थात जो अर्पण करेंगे, उसका प्रतिरूप हमें प्राप्त होगा। पुष्पाधिवास से प्रतिष्ठा, संपदा, समृद्धि, उन्नति और यौवन की प्राप्ति होती है। स्वदेश स्वरुप जी महाराज वृंदावन वालों ने अपने प्रवचन में पितृ पूजन और द्रौपदी के महान व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। महाराज जी ने पितृ पूजन की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पितृ पूजन से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, सुख, धन-धान्य आदि को प्राप्त करता है। कहा कि देवपूजन से भी अधिक महत्व पितृपूजन का होता है। शास्त्रों में भी देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी बताया गया है। इसी कारण देवपूजन से पहले पितृ पूजन किए जाने का विधान है। महाराज श्री ने द्रोपदी के महान चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि द्रोपदी जैसी महान स्त्री सदियों में कभी कभार ही जन्म लेती है। वह एक राजा की पुत्री थी। वह ज्ञानवान होने के साथ-साथ युद्ध कौशल में निपुण थी और धर्म का अनुसरण करने वाली स्त्री थी। वह इतिहास में एक निर्भीक, असाधारण धैर्य, सहनशील और साहसी नारी के रूप जानी जाती है। द्रौपदी संकटकालीन परिस्थितियों में भी कभी विचलित नही हुई और हर विपरीत परिस्थितियों में अपने पतियों का साथ दिया और बखूबी प्रतिव्रत धर्म निभाया। कहा कि वह माता कुंती का बहुत आदर और सम्मान करती थी। इतिहास के पन्नों में वह एक आदर्श बहु के रूप में जानी जाती है। प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन की व्यवस्था को सफल बनाने में आचार्य पंड़ित मनोहर लाल जी निबाली वाले, श्री शनि धाम एवं श्री खाटू श्याम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रवीण गोयल, उपाध्यक्ष विनोद गोयल, सचिव अंकुर शर्मा, कोषाध्यक्ष नितिन मानव, सहकोषाध्यक्ष तरूण गुप्ता, पूर्व चेयरमैन प्रमोद गुप्ता, समाज सेवी संजीव शर्मा, दीपक गोयल, मयंक गोयल, कमलकांत शर्मा, विष्णु मित्तल, केशव गोयल, विकास मानव, प्रवीण चौधरी, राजेन्द प्रसाद आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
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