सपा को झटका: मायावती से मुलाकात कर बसपा में शामिल हुए सहारनपुर के कद्दावर नेता इमरान मसूद
प्रशांत त्यागी, सहारनपुर: संवाददाता
सहारनपुर के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक इमरान मसूद सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव को बड़ा झटका देते हुए समाजवादी पार्टी की साइकिल की सवारी छोड़कर मायावती के हाथी पर सवार हो गए।
विधानसभा चुनाव 2022 में इमरान मसूद कांग्रेस का हाथ छोड़कर सपा की साइकिल पर सवार हुए थे लेकिन सपा प्रमुख द्वारा उन्हें नजरअंदाज किए जाने के कारण इमरान मसूद आगामी निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अब बसपा के हाथी पर सवार हो गए हैं। बुधवार को लखनऊ में पार्टी प्रमुख मायावती के आवास पर उन्होंने बीएसपी की सदस्यता ग्रहण की और बसपा के सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के नारे को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
बसपा की सदस्यता ग्रहण करने पर बसपा सुप्रीमो मायावती इमरान मसूद को आशीर्वाद देते हुए
बसपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद इमरान मसूद ने आज के दिन को ऐतिहासिक बताया और कहा कि आने वाला समय बसपा का है क्योंकि हमारे समाज ने विधानसभा में समाजवादी पार्टी को एकतरफा वोट दिया था लेकिन वह प्रयोग सफल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हमारे समाज के साथ एक बड़ी ताकत की जरूरत थी जो बसपा से हमें मिली है, हम अब बहन जी के सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के नारे को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। उन्होंने पार्टी सदस्यता देने पर मायावती का आभार जताया।
बता दें, 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ही मसूद ने समाजवादी पार्टी जॉइन की थी, अब अचानक उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला क्यों लिया, इस बात की जानकारी नहीं मिली है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि सपा प्रमुख द्वारा उन्हें नजरअंदाज करने के कारण इमरान मसूद ने यह निर्णय लिया है। उनके भाई नोमान मसूद पहले से बसपा में है और उन्होंने बसपा के टिकट पर 2022 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा है आज वह अपने परिवार के सदस्यों और समर्थकों के साथ के साथ बसपा में शामिल हुए। बताया जा रहा है कि इमरान मसूद बसपा के टिकट पर परिवार के किसी सदस्य को मेयर का चुनाव भी लड़वा सकते हैं।
माना जा रहा है कि मायावती को वेस्टर्न यूपी में एक बड़े मुस्लिम चेहरे की तलाश थी, जो शायद अब पूरी हो गई है। इमरान मसूद का अपना एक जनाधार है और मुस्लिम वोटर्स ने उनपर काफी भरोसा जताया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इमरान मसूद और बीएसपी दोनों के ही लिए यह समझौता फायदेमंद साबित हो सकता है।
कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव का ओहदा ठुकराकर समाजवार्दी पार्टी में आए
ऐसा ही हाल इमरान मसूद का है। कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव तथा दिल्ली राज्य प्रभारी का ओहदा दिया था। उप्र में सपा की सरकार बनेगी, इस उम्मीद में इमरान अपना सब कुछ दांव पर लगाकर साइकिल पर सवार हो गए। सपा में शामिल होते ही उनकी सितारे गड़बड़ा गए।
सबसे पहले तो उनकी ज्वाइनिंग को लेकर अखिलेश यादव ने कोई उत्साह नहीं दिखाया।
सहारनपुर की जिला पंचायत वार्ड 43 से जिला पंचायत सदस्य उपचुनाव में इमरान मसूद ने आशा लता को चुनाव लड़ाने की घोषणा कर दी थी जिस पर सहारनपुर देहात सीट से विधायक आशु मलिक ने हाईकमान के द्वारा अवनीश त्यागी को समाजवादी पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित करवा दिया था जिस पर इमरान मसूद समाजवादी पार्टी में अपने आपको अलग अलग खड़ा महसूस कर रहे थे उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ अपनी प्रत्याशी आशा लता के चुनाव प्रचार में अखिलेश यादव पर भी निशाना साध दिया था जिसमें उन्होंने कहा था हमने जिला पंचायत के उपचुनाव में आशा लता का पर्चा भरवाया लखनऊ से परवाना आया यह अधिकृत प्रत्याशी नहीं इसका मतलब क्या है यानी हमें बेइज्जत किया जाएगा।
इमरान मसूद सहारनपुर नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं
वह 2007 के विधानसभा चुनाव में सपा के अधिकृत प्रत्याशी जगदीश राणा के खिलाफ निर्दलीय खड़े हो गए थे और उन्हें 3683 मतों से चुनाव हराकर विधायक बन गए थे। इसके बाद 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में नकुड़ सीट से वह चुनाव हार चुके हैं और 2014 लोकसभा और 2019 लोकसभा चुनाव में भी वह कांग्रेस के टिकट पर सहारनपुर सीट से चुनाव हार चुके हैं।
इमरान मसूद पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज मुस्लिम नेता काजी रशीद मसूद के भतीजे हैं, 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी की बोटी बोटी काट लेने वाले उनके विवादित बयान से भी बड़ा हंगामा हुआ था
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