देवीकुंड मैदान में उमड़ा जनसलब, भाजपा हाई कमान से नाराज आया नजर

समाज को राजनीतिक हिस्सेदारी देने की की गई मांग

प्रशांत त्यागी, देवबंद

देवबंद के देवीकुंड मैदान पर त्यागी भूमिहार ब्राह्मण समाज की उमड़ी ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के माथे पर चिंता की लकीरें जरूर खींच दी है। क्योंकि त्यागी भूमिहार ब्राह्मण समाज परंपरागत भाजपा का ही वोट बैंक माना जाता है, लेकिन जिस प्रकार से देवबंद की धरती से त्यागी भूमिहार ब्राह्मण समाज ने एकता का परिचय देते हुए राजनीतिक दलों से खासकर की भाजपा से अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी मांग डाली इसका सीधा असर आगामी लोकसभा चुनाव पर दिखना तय माना जा रहा है।

राजनीतिक गलियारों में एक कहावत बड़ी तेजी के साथ कहीं जाती है की यूं ही कोई बेवफा नहीं होता कुछ तो दूरियां और फैसला आपने भी तय किए होंगे, जी हां बिल्कुल जनसंघ के समय से भाजपा का सारथी कहा जाने वाला त्यागी समाज आज धार्मिक नगरी देवबंद की पावन धरती पर उमड़ पड़ा उसके पीछे बहुत सी कुछ वजह है, सहारनपुर से लेकर पश्चिमी यूपी के सभी जनपदों में त्यागी समाज की अनदेखी प्रमुख मानी जा रही है। राजनीतिक हो या संगठन की बात करें तो पश्चिमी यूपी में शुरुआत से ही भाजपा दो या तीन जनपदों में त्यागी समाज का नियुक्त करती थी और राजनीतिक रूप से दो से चार लोगों को विधायक का टिकट भी मिलता था, यहां तक की गाजियाबाद में भी त्यागी ही लोकसभा का प्रत्याशी बनता था। लेकिन 2014 के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में जिस प्रकार से भाजपा हिंदुत्व का कार्ड खेलकर मजबूत हुई ऐसे ऐसे ही त्यागी समाज को राजनीतिक रूप से किनारे लगा दिया गया। जिला अध्यक्ष से लेकर क्षेत्रीय अध्यक्ष और उच्च पदों पर ऐसे लोगों को बैठाया गया जो राष्ट्रीय स्तर या प्रदेश स्तर के नेताओं के नजदीकी थे या उनके चहेते हैं। जिसके चलते पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा द्वारा कहीं ना कहीं राजनीतिक रूप से त्यागी समाज को हिस्सेदारी में पीछे छोड़ दिया गया। नोएडा का श्रीकांत त्यागी प्रकरण हो या मुजफ्फरनगर में तृप्ता त्यागी प्रकरण इसके अलावा मेरठ का खजूरी कांड कई मामले ऐसे हुए जिसमें सत्ता पर काबिज भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा चुप्पी साध ली गई यहां तक की समाज के लोगों का साथ तक भी नहीं दिया गया। ऐसे ही कई कारण रहे जिसके चलते त्यागी समाज और भाजपा के बीच खाई पैदा होती चली गई परिणाम स्वरुप अब त्यागी समाज सड़कों पर उतर चुका है। अमूमन देखा होगा भाजपा द्वारा पश्चिम उत्तर प्रदेश की बात करें तो जाट, ठाकुर, गुर्जर, अनुसूचित, वैश्य समाज के नेताओं को महत्वपूर्ण पदों पर बैठा रखा है, लेकिन यहां भी त्यागी समाज की अपेक्षा की गई है जिसके चलते सियासी पंडितों की माने तो त्यागी समाज अपने संपूर्ण वोट देने के बावजूद भी राजनीतिक रूप से अछूत होता चला गया। इसी का परिणाम शुक्रवार को देवबंद में दिखा यहां सहारनपुर से लेकर गाजियाबाद मेरठ मुरादाबाद संभल अमरोहा व अन्य प्रदेशों के हजारों लोग एकत्रित हुए और भाजपा से अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी तय करने की मांग कर डाली।

19 लोकसभा सीट पर है त्यागी समाज निर्णायक

पश्चिम उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, संभल, नोएडा और मेरठ समेत 19 लोकसभा सीट ऐसी है जहां पर त्यागी समाज निर्णायक भूमिका में है। अगर समय रहते भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो लोकसभा चुनाव में जीत का सपना लिए बैठी भाजपा को भारी नुकसान भी हो सकता है।

योगी मोदी से बैर नहीं, और नेताओं की खैर नहीं

शुक्रवार को देवबंद में आयोजित महापंचायत में जिस प्रकार युवाओं की भीड़ ने नारेबाजी की वह चर्चा का विषय जरूर बनी रही। युवाओं द्वारा यहां मोदी योगी से बैर नहीं भाजपा के नेताओं तुम्हारी खैर नहीं जैसे जमकर नारे लगाए जिसे देखकर यहां अंदाजा लगाया जा सकता है कि त्यागी समाज के युवा भी नरेंद्र मोदी और योगी के प्रति समर्पित तो दिखे लेकिन स्थानीय नेताओं से नाराज जरूर आए।

प्रशांत त्यागी

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