माननीय डॉ संजीव बालियान केन्द्रीय पशुपालन राज्य मंत्री, भारत सरकार,नई दिल्ली

विषय-जनपद मुज़फ्फरनगर में 12वीं शताब्दी में रघुवंशी (बालियान) गोत्र के गांवों को बसाने वाले सेनापति राजकुमार राव विजयराव की ग्राम सोरम की चौपाल में मूर्ति लगाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
जनपद मुज़फ्फरनगर में 12वीं शताब्दी में रघुवंशी (बालियान) गोत्र के गांवों को बसाया था। तथा बालियान खाप के ग्राम शोरम की चौपाल सैकड़ों वर्षो का इतिहास समेटे हैं। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में करवाया गया था। सैकड़ों वर्ष पहले बिखरी हुई खापों को एक मंच पर लाकर सर्वखाप का गठन हुआ था और ग्राम शोरम को सर्वखाप मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी थी। इसी गाँव में बालियान खाप के मुखिया चौ.महेन्द्र सिंह टिकैत के संयोजन में कई सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ प्रस्ताव पास किये गये थे।
महाराजा हर्षवर्धन (थानेसर के राजा) ने सन 642 में अपनी बहन राज्यश्री को मालवा नरेश की कैद से छुड़ाने में खाप पंचायत की सहायता मांगी थी, जिसके लिए खापों के चौधरियों ने मालवा पर चढाई कर राज्यश्री को मुक्त कराया था।


बल्लभीपुर (गुजरात-कच्छ काठियावाड़) में बल्लभी नरेशों ने विक्रम सन 602 से 881 तक स्वतंत्र शासन किया था। सन 881 में अरबों के आक्रमण के कारण बल्लभी राज्य समाप्त हो गया था। उसके बाद उनकी एक शाखा स्यालकोट चली गई थी और दूसरी शाखा ने हरियाणा में हिसार क्षेत्र में धावनी नगर और बालौर दो जनपद बसाए थे। बालौर के बाद उन्होंने बालियानों का महलाना ग्राम बसाया था, जो हरियाणा में सोनीपत के पास है। बालियान वंश के राजकुमार राव विजयराव ने 12वीं शताब्दी में धावनी नगर से निकलकर पश्चिमी उतरप्रदेश में गंगा यमुना के बीच के क्षेत्र में ग्राम सिसौली में बालियान खाप की स्थापना की थी और उसी दौर में भाजू-भनेड़ा बसाया था।
सिसौली के बालियान खाप के सेनापति व चौधरी राजकुमार राव विजयराव राव के पौत्र राव राम राणा बालियान खाप के प्रसिद्ध वंशानुगत प्रमुख थे। वह राव देव राणा के पुत्र थे। राव देव राणा ने सन 1358 में सिसोली के आस-पास के क्षेत्रों को जीतकर शांति स्थापित की थी और उसके दो भाइयों व दो पुत्रों ने ग्राम सोरम पर अधिकार कर उसे सर्वखाप पंचायत का मुख्यालय बना दिया था। इन्होने सन 1297 में इस क्षेत्र में दिल्ली सल्तनत के प्रवेश को रोका था।
लगभग सोलहवीं शताब्दी के अन्त में इस रघुवंशी जाट वंश सिसौली में कालीसिंह व भूरीसिंह नामक दो सगे भाई हूए है। जिन्होंने अपनी 15 वर्ष से 25 वर्ष तक की आयू में शिक्षा प्राप्त कर ईश्वर भक्ति की थी। बाबा कालीसिंह ने योग क्रियाओं व अपने तप द्वारा सिध्दि प्राप्त कर आयुर्वेद में पशुओं की जडी बूटियों का ज्ञान प्राप्त कर पशुओं का निशुल्क उपचार कर प्रसिद्ध प्राप्त की थी। बाबा कालीसिंह ओर बाबा भूरीसिंह के थान स्थान सिसौली-अलावलपुर माजरा सडक मार्ग पर बने हुए हैं, जो पुज्य स्थल माने जाते है। बाबा कालीसिंह के पूज्य थान स्थान पर प्रत्येक रविवार को मेला लगता है, जिसमे दूर दूर से सभी जातियों के लोग प्रसाद चढाकर अपने पशुधन प्राप्ति की दुआ करते है।
सन 1422 में हरिद्वार में चैत्र वदी दौज को 185 खापों का एक सम्मेलन हुआ था, जिसमें लगभग हजारों प्रतिनिधि उपस्थित हुए थे। इस सम्मेलन में बालियान खाप को प्रधान खाप और उसके सोरम गांव को मंत्री पद दिए जाने की घोषणा हुई थी। उस समय सोरम गांव के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति राव रामराणा थे। उन्हीं को प्रथम मंत्री बनाया गया। इस समय उनकी चैबीसवीं पीढ़ी इस दायित्व को संभाले हुए है। पिछले मंत्री चौधरी कबूल सिंह ने सर्वखाप पंचायत के इतिहास को उजागर करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया था।
केन्द्रीय पशुपालन मंत्री, भारत सरकार डॉ संजीव बालियान के प्रयास से जनपद स्थित सर्वखाप पंचायतों का केंद्र रहे सोरम गांव की एतिहासिक चौपाल का जीर्णोद्धार हो रहा है। इस चौपाल युवाओं के लिए एक आधुनिक पुस्तकालय की स्थापना भी की जाएगी। यहाँ पर बालियान खाप के सेनापति चौधरी राजकुमार राव विजयराव की मूर्ति स्थापित की जा सकती है।
अत; आपसे अनुरोध है कि जनपद मुज़फ्फरनगर में 12वीं शताब्दी में रघुवंशी (बालियान) गोत्र के गांवों को बसाने वाले राजकुमार राव विजयराव की ग्राम सोरम की चौपाल में मूर्ति लगाने के सम्बन्ध में समुचित कार्यवाही करने का कष्ट करें। आभारी होंगे।

भवदीय
अशोक बालियान

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