ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्धनं उर्वारूकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।
ऊँ ह्रीं शरणागतदीनार्त परित्राण परायणे,
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणी नमोऽस्तुते ।
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्धनं उर्वारूकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
इस मृत्युञ्जय मंत्र से सम्पुटित कर कृपया 108 बार अग्नि प्रज्वलित कर पूजा स्थल पर हवन करें ।
तिल घी बेलपत्र गूगुल जटामांसी पंचमेवा धूप गुड़ मिलाकर अग्नि पूजन करें और खुशी पूर्वक प्रार्थना कर महागौरी के हवन करें ।
यथासंभव कार्य सिद्ध हो जाएगा ।
शरीर का कष्ट दूर हो जाएगा ।
कल 4/10/2022 को पूर्णाहुति हवन दिन में 1/27 के पहले तक कर लें। क्योंकि दशमी तिथि व्याप्त हो जाएगा।
जय माता दी।।
✍️संचिता मणि त्रिपाठी