चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने पूरी दुनिया में भारत को गौरान्वित करा दिया। भारत दुनिया का पहला देश बन गया है जो चांद दक्षिणी ध्रुव में पहुंचा है। बता दें कि चांद के इस हिस्से में अब तक कोई नहीं पहुंच पाया है। इस उपलब्धि के बाद अब ISRO 2 सितंबर को आदित्य-एल1 मिशन को लॉन्च करने जा रहा है। ISRO के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश एम. देसाई ने जानकारी देते हुए बताया कि ये स्पेसक्राफ्ट लॉन्च के लिए तैयार है। सूर्य मिशन आदित्य-L1 की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी। इससे पहले ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि, सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल-1 का मिशन जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। हम इसे सिंतबर के पहले सप्ताह में लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं।आदित्य-L1 15 लाख किलोमीटर की यात्रा 127 दिन में पूरी करेगा। यह जानकारी नीलेश एम. देसाई ने दी। उन्होंने कहा कि यह हैलो ऑर्बिट में तैनात किया जाएगा। जहां पर L1 प्वाइंट होता है। यह प्वाइंट सूरज और धरती के बीच में स्थित होता है। लेकिन सूरज से धरती की दूरी की तुलना में मात्र 1 फीसदी है। इस मिशन को PSLV रॉकेट से लॉन्च किया जायेगा।
बता दें कि जिस रॉकेट को सूरज पर भेजा जाएगा उसका वैज्ञानिक नाम आदित्य-L1 है, लेकिन इसे सूर्ययान भी कहा जा रहा है। आदित्य-L1 भारत का पहला सोलर मिशन है। आदित्य- L1 मिशन सतीश धवन स्पेस सेंटर में रखा गया है और यहां पर अब इसे रॉकेट में लगाया जाएगा। मिशन का सबसे महत्वपूर्ण पेलोड विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ है। इस पेलोड को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है। सूर्ययान में सात पेलोड्स हैं, जिनमें से छह पेलोड्स इसरो और अन्य संस्थानों ने बनाया है। 2 सितंबर को इसरो पीएसएलवी रॉकेट के जरिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर (एसडीएससी एसएचएआर) श्रीहरिकोटा से आदित्य-एल1 को लॉन्च करेगा. बता दें कि आदित्य L1 को अब तक का सबसे मिशन माना जा रहा है। ISRO चीफ एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा भी कि भारत अब सूरज पर तैयारी कर रहा है। एस सोमनाथ ने कहा कि मिशन मून की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारत अगले तीन महीनों में आदित्य L1 और गगयान समेत कई महत्वपूर्ण मिशन लॉन्च करने वाला है। आदित्य एल1 के बारे में ISRO चीफ ने कहा कि ये भारत का पहला सूर्य मिशन है जो सूरज की स्टडी करेगा▪️

