फिर हुई इमरान मसूद की उम्मीद ध्वस्त
निकाय चुनाव में रिजर्वेशन में हुए परिवर्तन से चुनाव की तैयारी में जुटे कई कद्दावर नेता चुनावी रेस से बाहर हो गए हैं
अनुज त्यागी/राजसत्ता पोस्ट
सहारनपुर की मेयर सीट पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हो जाने से सहारनपुर जनपद के कद्दावर नेता इमरान मसूद के चुनाव लड़ने रास्ते बंद हो गए है ।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इमरान मसूद को एक कद्दावर नेता के रूप में जाना जाता है ।
अगर सहारनपुर जनपद की बात की जाए तो इमरान मसूद ने 2007 विधानसभा चुनाव में अपनी ही पार्टी की सरकार के कैबिनेट मंत्री जगदीश राणा को मुजफ्फराबाद विधानसभा सीट से चुनाव हराकर विधायक बने थे,पूर्व मंत्री जगदीश राणा को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर हरा दिया था पिछले लोकसभा चुनाव में भी इमरान मसूद ने दो लाख से ज्यादा वोट प्राप्त किए थे ,इसके बाद कोई चुनाव नहीं जीत पाए। 2012 और 2017 विधानसभा चुनाव के अलावा 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में भी उन्हें हार मिली।
लेकिन 2023 नगर निकाय चुनाव में उनका मेयर का चुनाव लड़ने का सपना अधूरा ही रह गया बता दे इमरान मसूद ने 2019 लोकसभा का चुनाव लोकसभा का चुनाव कांग्रेस पार्टी से लड़ा था लेकिन वह चुनाव हार गए थे उसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी की साइकिल यात्रा भी की लेकिन उन्होंने कुछ समय पूर्व समाजवादी पार्टी को छोड़ बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी और बीएसपी से मेयर का चुनाव उनकी पत्नी का लगना निश्चित माना जा रहा था लेकिन आरक्षण में सहारनपुर नगर नगर निगम मेयर के लिए पिछड़ा के लिए आरक्षित हो गई है
व्यक्तिगत रूप से इमरान मसूद और उनका परिवार सेकुलर होने के बावजूद हर चुनाव में उनके खिलाफ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की स्थिति बन जाती है। इसके लिए 2014 में वायरल हुआ उनका बोटी-बोटी वाला बयान भी जिम्मेदार माना जाता है।
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