आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देते हुए भारत ने स्वदेश में विकसित 70,584 करोड़ रुपए के सैन्य साजो-सामान की खरीद को गुरुवार को मंजूरी दे दी है, जिससे घरेलू रक्षा विनिर्माण को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. अधिकारियों ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी. पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ लगभग तीन साल से जारी गतिरोध के बीच नए खरीद प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई है.
डीएसी ने सैन्य साजो-सामान की खरीद के लिए 70,584 करोड़ रुपये की एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी (एओएन) को स्वीकृति दी, जिसके तहत सभी खरीद स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित श्रेणी के तहत की जाएगी.
एक रक्षा अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में भारतीय नौसेना के लिए 60 मेड इन इंडिया यूटिलिटी हेलीकॉप्टर मरीन और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, भारतीय सेना के लिए 307 ATAGS हॉवित्जर, भारतीय कोस्ट गार्ड के लिए 9 ALH ध्रुव हेलिकॉप्टर खरीदने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम
राजनाथ सिंह के कार्यालय ने ट्वीट किया, इतनी मात्रा में स्वदेशी खरीद न केवल भारतीय उद्योगों को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रेरित करेगी, बल्कि विदेशी विक्रेताओं पर भारत की निर्भरता को भी काफी हद तक कम करेगी.
जानकारी के मुताबिक इसमें नौसेना के लिए सबसे ज्यादा खरीद को मंजूरी मिली है. 56 हजार करोड़ की इस खरीद में ब्रह्मोस मिसाइल, शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ्यर सिस्टम और मेरिटाइम यूटिलिटी हैलिकॉप्टर शामिल है. इसके अलावा इंडियन एयरफोर्स के लिए लॉन्ग रैंज स्टैंड ऑफ वेपन को मंजूरी मिली है. जानकारी के मुताबिक इसका इस्तेमाल सुखोई फाइटर जेट में होगा. वहीं इंडियन आर्मी के लिए गन टोइंग वाहनों और 307 ATAGS हॉवित्जर की खरीद की जाएगी.
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