Anuj Tyagi
हर हर महादेव के जयघोष के बीच संपन्न हुआ मां बगलामुखी महायज्ञ, सनातन वैदिक राष्ट्र निर्माण का किया आह्वान
मुजफ्फरनगर, 11 सितंबर 2025 –
गांधी नगर स्थित श्यामा श्याम मंदिर में आज पांच दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ का भव्य समापन हर्षोल्लास के साथ हुआ। इस अंतिम दिन पर शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर एवं श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने प्रवचन देते हुए सनातन धर्म की रक्षा, सभी हिंदू परिवारों की रक्षा, भक्तगणों की सात्विक मनोकामनाओं की पूर्ति और सनातन धर्म के शत्रुओं के समूल विनाश हेतु महायज्ञ का महत्व बताया।
महामंडलेश्वर जी ने कहा कि “माँ पीताम्बरा बगलामुखी का महायज्ञ कल्पवृक्ष के समान है, जिसमें श्रद्धापूर्वक भाग लेकर भक्तगण अपनी प्रत्येक सात्विक मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। माँ बगलामुखी विजय और सद्बुद्धि की देवी हैं। तंत्र साधना में इन्हें ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। सनातन धर्म के सभी महान योद्धा माँ बगलामुखी की साधना से ही शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते आए हैं।”
उन्होंने बताया कि माँ बगलामुखी वस्तुतः भगवान महादेव शिव की आठवीं महाविद्या हैं। भगवान परशुराम जी पृथ्वी पर उनके पहले उपासक थे। भगवान श्रीराम, योगेश्वर श्रीकृष्ण, पितामह भीष्म, आचार्य द्रोण, महावीर कर्ण, महावीर अर्जुन से लेकर आल्हा ऊदल तक सभी इनके परम भक्त रहे हैं।
“माँ पीताम्बरा बगलामुखी के सच्चे भक्त को जीवन में कभी अपमान या पराजय का सामना नहीं करना पड़ता,” उन्होंने जोर देकर कहा।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने संपूर्ण हिन्दू समाज से अपील की कि वे वर्तमान समय में सनातन धर्म पर आए विकट संकट से बचने के लिए माँ बगलामुखी की शरण में आएं। उन्होंने विशेष रूप से आग्रह किया कि हिंदुओं को इजरायल की तरह अपना एक राष्ट्र बनाना चाहिए – सनातन वैदिक राष्ट्र।
उन्होंने पाकिस्तान व बांग्लादेश सहित भारत में चल रहे हिंदू नरसंहार पर कड़ा विरोध प्रकट किया।
“बांग्लादेश में सेना और पुलिस के सहयोग से मुस्लिम जनसमुदाय हिंदुओं का भीषण नरसंहार कर रहा है। इस्कॉन के निर्दोष चिन्मय दास प्रभु को जेल में डाल कर बांग्लादेश सरकार ने विश्व के हिंदुओं को उनकी औकात बता दी। यदि ऐसा यहूदी के साथ होता तो इजरायल तुरंत आक्रमण कर उसे बचाकर ले जाता।” उन्होंने कहा।
“अगर हिंदुओं के पास भी अपना कोई राष्ट्र होता तो पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं की दुर्गति नहीं होती।”
महामंडलेश्वर जी ने आगाह किया कि
“भारत शरिया कानून की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जहाँ न तो कोई मंदिर बचेगा और न पूजा करने वाला। कोई हिन्दू नेता, धर्मगुरु या संगठन इस गंभीर मुद्दे पर आवाज नहीं उठा रहा। इसलिए हिन्दू समाज को स्वयं आगे बढ़कर अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सनातन वैदिक राष्ट्र का निर्माण करना आवश्यक है।”
उन्होंने माँ गंगा के तट ऋषिकेश में माँ बगलामुखी मंदिर की स्थापना का आह्वान किया ताकि इस निमित्त देवी और महादेव की शक्तियाँ जागृत हो सकें।
महायज्ञ में यति अभयानंद जी, यति धर्मानंद जी, डॉ योगेंद्र योगी और पंडित सुनील दत्त शर्मा भी उपस्थित रहे।
महायज्ञ के पुरोहित पंडित सनोज शास्त्री जी थे, जबकि मुख्य यजमान संजय धीमान थे।
आज के यजमान श्रीमती रामवती व राजू सैनी रहे।
पूर्णाहुति के दौरान बिट्टू सिखेड़ा, संदीप जिंदल, निशांत त्यागी, नीटू त्यागी, विजयपाल प्रजापति, मंगलेश प्रजापति, रमेश सैनी, विनीत, सौरभ, गौरव, प्रताप सहित अनेक भक्तगणों ने आहुति समर्पित की।
यह महायज्ञ सनातन धर्म की रक्षा, हिन्दू समाज की जागरूकता, और एक मजबूत वैदिक राष्ट्र की स्थापना हेतु एक ऐतिहासिक कदम बनकर सामने आया।


