प्रयागराज। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद (एचसीबीए) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय कोलेजियम की पूरी प्रक्रिया पर असंतोष व्यक्त करते हुए इसके विरोध में प्रस्ताव पारित किया है। सोमवार को कार्यकारिणी की आकस्मिक बैठक में इस बात पर भी नाराजगी जताई गई कि पूरी प्रक्रिया में बार एसोसिएशन से कोई मंत्रणा नहीं की जाती है।
अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट अनिल तिवारी की अध्यक्षता और महासचिव विक्रान्त पाण्डेय के संचालन में कार्यकारिणी सदस्य विचार विमर्श के जुटे। पदाधिकारियों ने इस बात रोष जताया कि विगत कुछ वर्षों से उच्च न्यायालय कोलेजियम ऐसे अधिवक्ताओं के नामों की संस्तुति न्यायमूर्ति पद के लिए कर रहा है, जिन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में कभी प्रैक्टिस ही नहीं की।

‘HC में योग्य अधिवक्ताओं की कमी है क्या’

सवाल उठाया गया कि कोलेजियम में शामिल न्यायमूर्ति ऐसे अधिवक्ताओं की क्षमता का आंकलन किस तरह करते हैं, जिन्होंने उनके सामने कभी बहस नहीं की। कहा गया कि इससे यह स्पष्ट है कि बिना योग्यता परीक्षण ऐसे अधिवक्ताओं के नामों की सिफारिश कर दी जाती है। यह प्रक्रिया निःसंदेह नियुक्ति प्रक्रिया की शुचिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है तथा यह प्रश्न उठाती है कि क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट में योग्य अधिवक्ताओं की कमी है?

कुछ वक्ताओं ने कहा कि मात्र ऐसे अधिवक्ताओं के नामों की सिफारिश की जाती है, जो या तो न्यायमूर्तिगण के परिवार के हैं अथवा प्रभावशाली अधिवक्ता परिवार से हैं।संयुक्त सचिव (प्रेस) पुनीत शुक्ला की विज्ञप्ति के अनुसार, एचसीबीए ने पूरी प्रक्रिया के विरोध में पारित प्रस्ताव की प्रति इलाहाबाद हाई कोर्ट के सभी न्यायमूर्तियों के साथ-साथ मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के अलावा अन्य न्यायमूर्तियों, प्रधानमंत्री, विधि व न्यायमंत्री, उप्र के मुख्यमंत्री व देश के सभी हाई कोर्ट बार एसोसिएशन को भेजने का भी निर्णय लिया है।
"
""
""
""
""
"

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *