बीजिंग। चीन में हर साल बड़ी संख्या में भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं। हालांकि, कोरोना काल में हजारों भारतीय छात्रों को स्वदेश लौटना पड़ा। इसके चलते कई छात्रों के पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी है।
इसी बीच, बीजिंग में भारतीय दूतावास ने एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया कि दूतावास को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) द्वारा चीन में आयोजित क्वालिफाइंग एग्जाम की पात्रता को लेकर छात्रों और उनके परिजनों के लगातार सवाल मिल रहे हैं। दूतावास ने अपने बयान में इन्हीं सवालों का जवाब दिया है। भारतीय दूतावास ने आगे कहा कि छात्रों और उनके परिजनो से एनएमसी का 18 नवंबर 2021 को जारी नोटिफिकेशन देखने का निवेदन किया जाता है।
दूतावास ने कहा कि छात्रों और उनके परिजनों को गजट नोटिफिकेशन देखना चाहिए। दूतावास ने कहा, ‘एनएमसी ने क्लॉज 4(बी) में स्पष्ट रूप से कहा है कि विदेशी मेडिकल छात्रों को संबंधित प्रोफेशनल्स रेगुलेटरी बॉडी के साथ रजिस्टर्ड होना चाहिए।’ बयान में आगे कहा गया कि जिस देश में छात्रों को मेडिकल की डिग्री दी गई है। वहां पर वे मेडिकल प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस हासिल कर सकते हैं।
भारतीय छात्रों को मिले सुविधा- दूतावास
भारतीय दूतावास ने संबंधित चीनी अधिकारियों, मेडिकल कॉलेजों से अनुरोध किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि क्लिनिकल मेडिसिन प्रोग्राम के लिए चीन आने वाले सभी भारतीय छात्रों को शिक्षित, प्रशिक्षित हों और सुविधा प्रदान की जाए जिससे वे एनएमसी की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा में बैठने की शर्त
दूतावास ने कहा कि अगर कोई भी छात्र नवंबर 2021 के बाद चीन में क्लिनिकल मेडिसिन प्रोग्राम में शामिल होता है और चीन में चिकित्सक के रूप में अभ्यास करने के लिए लाइसेंस नहीं प्राप्त कर पाता है तो वो विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा में बैठने के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा।
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