मुरादाबाद। संभल के बाद मुरादाबाद के कई मुहल्लों में बंद पड़े मंदिरों का मुद्दा अब फिर से उठ गया है। भारतीय संस्कृति रक्षा समिति ने शहर में बंद पड़े मंदिरों में आरती करने और नियमित दीया जलाने का निर्णय लिया है। समिति के अध्यक्ष धीरशांत दास ने सिविल लाइंस के सत्य श्रीशिव मंदिर में गुरुवार को प्रेसवार्ता के दौरान ये बात कही। उन्होंने कहा कि भाईचारे को अपनाते हुए हम उन क्षेत्रों में जाएंगे जहां मंदिर बंद पड़े हैं। किसी भी धर्म का अपमान किए बिना अपने मंदिरों को खोलेंगे।
समिति अध्यक्ष ने मंदिरों में नियमित आरती का आह्वान करते हुए कहा कि हम निवेदन करेंगे कि भारत वर्ष विभिन्न संस्कृतियों का देश है तो हम भी अपने धर्म का अच्छे से पालन कर सकें। सनातन धर्म की विरासत के रूप में जो मंदिर हैं, उनको खुलवाएंगे। ऐसे 50 से ज्यादा मंदिर हैं। बंद पड़े मंदिरों के आसपास के क्षेत्रफल पर अतिक्रमण कर लिया गया है। हम जिला प्रशासन के सहयोग से उस अतिक्रमण को हटवाने में सहयोग मांगेगे।
मंदिरों को सजाने, संवारने में सहयोग देने की अपील
उन्हाेंने कहा कि हम सनातनियों के साथ मिलकर शांति से यह कार्य करेंगे। हमारा उद्देश्य धार्मिक उन्माद पैदा करना नहीं है। हम चाहते हैं कि दूसरे धर्म के लोग हमारे बंद पड़े मंदिरों को सजाने, संवारने में सहयोग दें। जिन क्षेत्रों से सनातन धर्म से जुड़े लोग किसी कारण से चले गए हैं, वहां के बंद पड़े मंदिरों के ताले खोलेंगे। धीरशांत दास ने कहा कि हम बंद पड़े मंदिरों में भोग लगाने की व्यवस्था करेंगे।
किसी भी धर्म का अपमान नहीं हुआ
सनातन धर्म में कहा जाता है कि विश्व का कल्याण हो, हम यह नहीं कहते कि भारत का कल्याण हो, हम कहते हैं प्राणियों में सद्भावना हो। सनातन धर्म किसी से ईष्या नहीं करता, किसी से द्वेष नहीं करता। लेकिन, विडंबना है कि संसार के सबसे प्राचीन सनातन धर्म को ठेस पहुंचाते हैं। सनातन धर्म के राजा महाराजाओं ने किसी के धार्मिक स्थल का अपमान नहीं किया। लेकिन, जो आक्रांता दूसरे धर्म के भारत में आए, उन्होंने सनातन धर्म का शोषण किया।
धीरशांत दास ने कहा कि संभल प्रकरण में जिन्होंने पत्थर चलवाए, वह बिजली चोरी में सबसे आगे हैं। सम्मानित पद पर बैठकर बिजली चोरी करते हैं और पत्थर मारने को उकसाते हैं। हिंदू लोगों के पलायन करने पर वहां मंदिर अकेला पड़ जाता है। हिंदू लोगों को पलायन करने से रोकने को क्या करेंगे?
मंदिरों की रक्षा करने पर जोर
इस सवाल का जवाब देते हुए धीरशांतदास ने कहा कि हमने किसी के धार्मिक स्थल पर अतिक्रमण नहीं किया है। ताला लगवाने को मजबूर नहीं किया। किसी कारण से हिंदू पलायन कर गए हैं तो उनके धार्मिक स्थल सफाई रखने, अतिक्रमण न करने दें। मंदिरों की रक्षा करना चाहिए।
खोले जाएंगे ये मंदिर
इसमें नवाबपुरा के दो मंदिर, बरबलान में शिव मंदिर, किसरौल में राधा कृष्ण मंदिर, दौलतबाग के तीन मंदिर, नई बस्ती, नागफनी का फठ, चक्कर की मिलक के भी दो मंदिर हैं। यह सारा कार्य शासन और प्रशासन के संज्ञान में देकर करेंगे। इसकी जानकारी भी हम शासन व प्रशासन को दे चुके हैं। प्रेसवार्ता में महासचिव अनिल सिक्का, सुभाष कत्याल, पंडित कैलाश मुरारी समेत अन्य मौजूद रहे।
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