नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में हाईप्राइल सीट सीसामऊ विधानसभा पर मुकाबला काफी रोचक चल रहा है। सुबह आठ बजे से मतगणना शुरू हो चुकी है। फिलहाल इस सीट पर सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी आगे चल रही हैं।

कानपुर : सीसामऊ विधानसभा उपचुनाव

कानपुर : सीसामऊ विधानसभा उपचुनाव
राउंड-8
सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी
41168
बीजेपी प्रत्याशी सुरेश अवस्थी
12853
सपा आगे 28,315
कुल वोट की गिनती…47819
इस सीट पर मतदान के दौरान नौ सीटों में से इसी सीट पर सबसे अधिक बवाल हुआ। भाजपा और सपा के लिए यह सीट नाक का सवाल बनी हुई है। इस सीट पर कौन जीत दर्ज करेगा इसको लेकर मतदाताओं में काफी उत्साह है।
फिलहाल सीसामऊ पर सपा-भाजपा में सीधा मुकाबला नजर आ रहा है।

कब और कितनी हुई वोटिंग

सीसामऊ विधानसभा सीट पर 209 नवंबर को मतदान हुआ। इस सीट पर कुल दो लाख 71 हजार मतदाता हैं। जिसमें करबी एक लाख मुस्लिम मतदाता, 60-60 हजार ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। वहीं उपचुनाव में 49.1 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया। जबकि 2022 विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर 57.17 प्रतिशत मतदान हुआ था।

वर्तमान सीसामऊ के प्रमुख मोहल्ले

रायपुरवा, गांधीनगर, भन्नानपुरवा, कौशलपुर, जवाहरनगर, सीसामऊ उत्तरी, सीसामऊ दक्षिणी, मैकरावर्टगंज, बेकनगंज, चमनगंज, चुन्नीगंज, सूटरगंज, कर्नलगंज और ग्वालटोली।

कौन प्रत्याशी हैं मैदान में

सीसामऊ सीट पर समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी पर भरोसा जताया है। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने सुरेश अवस्थी को मैदान में उतारा। वहीं बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी वीरेंद्र शुक्ला पर दांव लगाया है।

सीसामऊ विधानसभा सीट का इतिहास

सपा नेता व पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को पिछले दिनों एक प्लाट पर आगजनी और कब्जे की कोशिश में सात साल की सजा हुई थी। इरफान के सजायाफ्ता होने की वजह से यह सीट रिक्त हो गई थी। भले ही सीसामऊ क्षेत्र बेहद पुराना है, लेकिन इस नाम से सीट का गठन 1974 में हुआ, तब यह सीट सुरक्षित थी।
2012 में जब परिसीमन हुआ तब यह सामान्य हुई। पहली बार यहां से कांग्रेस के शिवलाल जीते थे, लेकिन 1977 के चुनाव में जनता पार्टी यहां से जीत गई थी। हालांकि जनता पार्टी से यह सीट 1980 के चुनाव में कांग्रेस की कमला दरियावादी ने छीन ली थी। कमला यहां से दो बार जीतीं, लेकिन 1989 के चुनाव में जनता दल की लहर में यह सीट कांग्रेस को गंवानी पड़ी थी।

लगातार तीन बार भाजपा को मिली जीत

सन 1991 की राम मंदिर आंदोलन की लहर में यहां भाजपा का कमल खिला। राकेश सोनकर विधायक बने और लगातार तीन बार जीते। 1993 में जब सपा और बसपा का गठबंधन हुआ तब भी भाजपा की जीत हुई। तमाम कोशिशों के बाद भी भाजपा से यह सीट विरोधी नहीं छीन सके, लेकिन 2002 में भाजपा ने राकेश सोनकर का टिकट काट दिया था। केसी सोनकर भाजपा से मैदान में उतरे मगर, हार का सामना करना पड़ा। फिर भाजपा इस सीट पर कभी नहीं जीती।
कांग्रेस के खाते में 2002 में कांग्रेस के संजीव दरियावादी विधायक बने। 2007 में भी वे जीते। 2012 में परिसीमन बदला और यह सीट सामान्य हुई तो कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो गई। यहां से सपा के हाजी इरफान सोलंकी पहली बार जीते और फिर 2017 में भी उन्हें जीत मिली।

कौन कब जीता

1974 : कांग्रेस के शिवलाल
1977 : जनता पार्टी के मोती राम
1980 : कांग्रेस की कमला दरियावादी
1985 : कांग्रेस की कमला दरियावादी
1989 : जनता दल के शिव कुमार बेरिया
1991 : भाजपा के राकेश सोनकर
1993 : भाजपा के राकेश सोनकर
1996 : भाजपा के राकेश सोनकर
2002 : कांग्रेस के संजीव दरियावादी
2007 : कांग्रेस के संजीव दरियावादी
2012 : सपा के इरफान सोलंकी
2017 : सपा के इरफान सोलंकी
2022: सपा के इरफान सोलंकी

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