अलीगढ़। नए कानून के तहत प्रदेश की पहली सजा की कार्रवाई में पुलिस व अभियोजन ने तेजी से पैरवी की। एक माह के अंदर पुलिस ने विवेचना खत्म करके आरोप पत्र दाखिल कर दिया। वहीं, 11 दिन में सात लोगों की गवाही पूरी करा दी गईं।

21 सितंबर को आरोप तय होने के बाद 11वीं तिथि पर शनिवार को अदालत ने निर्णय सुना दिया। किशाेरी से हुई दुष्कर्म की घटना के बाद फैसला आने में इतने कम दिन का समय लगा। ये मिसाल है।

इस तरह चली प्रक्रिया

  • 19 जुलाई को हुई घटना में अदालत में 21 सितंबर को आरोप तय की प्रक्रिया पूरी हुई थी।
  • 23 सितंबर को वादी की पहली गवाही कराई गई। उसी दिन पीड़िता की भी गवाही पूरी हो गई।
  • 24 सितंबर को किशोरी की मां की गवाही हुई। इसी तरह 25 सितंबर को मुकदमे लिखने वाली सिपाही के बयान हुए।
  • 30 सितंबर को चश्मदीद साक्ष्य ने गवाही दी, जिसने वीडियो बनाया था। ये गवाही अदालत में महत्वपूर्ण साबित हुई।
  • एक अक्टूबर को मेडिकल करने वाली डाक्टर नाजिया की गवाही हुई।
  • आखिरी गवाही विवेचक व एसओ रितेश कुमार की तीन अक्टूबर को हुई।
  • इसके बाद पांच अक्टूबर को बीएनएसएस की धारा 351 के तहत मुल्जिम के बयान कराए गए।
  • 10 अक्टूबर को सफाई साक्ष्य हुए।
  • 14 अक्टूबर को बहस पूरी होने के बाद अदालत ने निर्णय के लिए 19 अक्टूबर की तिथि नियत कर दी थी। शनिवार को अदालत ने भरत को दोषी मानते हुए सजा सुना दी।

सभी थाना प्रभारियों को आपरेशन कन्विक्शन के तहत सनसनीखेज मामलों में शीघ्र आरोप पत्र प्रेषित करने के निर्देश दिए गए हैं। ये भी कहा गया है कि न्यायालय में समय से गवाही कराएं और अपराधियों को शीघ्र सजा दिलाएं।

किशोरी के साथ दुष्कर्म के इस प्रकरण को चिह्नित किया गया था। सात गवाही कराई गईं। इसमें पीड़िता के बयान व चश्मदीद की गवाही महत्वपूर्ण साबित हुई, जिसने वीडियो बनाया था। महेश सिंह, विशेष लोक अभियोजक

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