मुजफ्फरनगर। आज के समय में जब हर तरफ किसी भी तरह से आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा चल रही है और पेपर लीक जैसी सामाजिक बुराई सामने आ रही है, ऐसे समय में शहर में एक विधालय ऐसा भी है, जहां कक्ष निरीक्षक के बिना ईमानदारी से बच्चे परीक्षा दे रहे हैं। आज के समय ऐसा सुनने में और देखने में अजीब लगता है, लेकिन यह सच है। शहर के मौहल्ला बसंत विहार साकेत स्थित सरस्वती शिशु मंदिर जूनियर हाईस्कूल में ऐसा ही हो रहा है, जिस पर यकीन करना मुश्किल है, लेकिन हमारे संवाददाता ने स्वयं अपनी आंखों से यह नजारा देखा तो अचंभित रह गया। यहां बिना कक्ष निरीक्षक के ईमानदारी से बच्चे परीक्षा दे रहे हैं और कक्ष में लगे सीसीटीवी कैमरे भी बंद है। सबकुछ बच्चों के ऊपर छोड़ दिया गया है, शिक्षक भी कक्ष से बाहर बैठकर अन्य कामों का निपटारा करते देखे गए हैं। परीक्षा दे रहे बच्चे अपनी अंतर्रात्मा की आवाज पर पूरी ईमानदारी से उत्तर पुस्तिका में सवालों के जवाब लिख रहे हैं। इतना ही नहीं अगर किसी बच्चे को बी-कापी भी लेनी है, तो वह स्वयं ले रहा है। ऐसी “संस्कारों की पाठशाला” शहर में कहीं देखने को नहीं मिल रही है। सबसे बडी बात यह देखने को मिली कि बच्चे बिल्कुल भी शोर नहीं मचा रहे थे और न ही आपस में बात कर रहे थे। बिल्कुल शांत होकर पूरी एकाग्रता से अपनी परीक्षा दे थे और पेपर पूरा होने के बाद भी चुपचाप अपनी सीट पर बैठकर छुट्टी होने का इंतजार करते देखे गए। ऐसा माहौल देखना आज के समय आठवां अजूबा सा लगता है, लेकिन यह सच है। इस विधालय में एक ओर नई चीज देखने को मिली, जो बच्चों में बहुत कम देखने को मिलती है। इस विधालय में बिना दुकानदार की दुकान भी चलती है, जिसका नाम “मेरा अपना सरस्वती सामान घर” रखा गया है। इस दुकान में बच्चों का पढाई संबंधी सारा सामान रखा हुआ है। बच्चे को जिस भी सामान की आवश्यकता होती है, तो वह उसी सामान को लेता है और उसकी कीमत के पैसे वहां पर रख देता है। अगर किसी बच्चे के पास उस दिन पैसे नहीं हैं, तो वह सामान लेकर वहां रखे रजिस्टर में अपना नाम व अपनी कक्षा लिख देता है और अगले दिन अपने घर से पैसे लाकर रख देता है। बच्चों में इतने संस्कार प्रधानाचार्य व समस्त प्रबंध समिति तथा सभी शिक्षकों के सामूहिक प्रयास से ही संभव हो सके हैं। सरस्वती शिशु मंदिर जूनियर हाईस्कूल साकेत की प्रबंध समिति के अध्यक्ष यशपाल पंवार, प्रबंधक सुधीर खटीक, उपाध्यक्ष राजू त्यागी व अशोक गर्ग के कुशल निर्देशन में प्रधानाचार्य भूजेन्द्र कुमार व समस्त शिक्षकों ने विधालय में एक अलग ही माहौल बनाया हुआ है। इस विधालय की इस परंपरा की चर्चा शहर में भी हो रही है और कुछ दूसरे विधालय भी प्रेरित होकर इस तरह के प्रयास कर रहे हैं।