गुरुग्राम।सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में पीलिया और गॉल ब्लैडर के एमपायमा से पीड़ित एक 75 वर्षीय मरीज को सफलतापूर्वक ठीक किया गया है. इस महत्वपूर्ण सर्जरी की सफलता मरीज के प्रति अस्पताल की केयर, व्यापक और मल्टी डिसीप्लीनरी अप्रोच व प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
इस बुजुर्ग मरीज को पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में लगातार दर्द हो रहा था और उन्हें पीलिया व गॉल ब्लैडर में एमपायमा था. केस की जटिलता को देखते हुए सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम के प्रतिष्ठित जीआई सर्जन डॉक्टर मयंक मदान ने लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी की जरूरत बताई.
डॉक्टर मयंक मदान ने बताया, ”सर्जरी में हर कदम मायने रखता है. इसमें स्किल और विशेषज्ञता व्यवस्थित करने की चुनौती होती है. इस मरीज की सफल सर्जरी हमारी समर्पित टीम के तालमेल वाले प्रयासों और मरीज को बेहतर इलाज देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है.”
हालांकि, ये सर्जरी इतनी आसान नहीं थी. मरीज की गंभीर ऑब्सट्रक्टिव एयर-वे की बीमारी ने सर्जरी के पहले की चीजों को काफी मुश्किल बना दिया था, जिसके चलते पल्मोनोलॉजी और एनेस्थीसिया विभागों से बेहतर तालमेल की जरूरत थी. ये चुनौतियों सर्जरी को टालने का कारण बन रही थीं. अन्य अस्पतालों में मरीज की सर्जरी के प्रयास किए गए जो असफल रहे थे. सीके बिरला अस्पताल में डॉक्टरों ने शानदार नतीजे दिए. खासकर, डॉक्टर कुलदीप कुमार ग्रोवर के नेतृत्व में पल्मोनोलॉजी टीम ने ओपीडी फॉलोअप में मरीज की कंडीशन को मैनेज में काफी अहम रोल निभाया.
शुरुआत में मिली कुछ असफलताओं के बाद मरीज के गॉल ब्लैडर में प्योसील के साथ कैलकुलस कोलेसिस्टिटिस और मिरिजिस सिंड्रोम टाइप 2 का पता चला. मिरिजिस सिंड्रोम टाइप 2 यानी पीलिया का एक कारण. इस चुनौतीपूर्ण केस को सीके बिरला अस्पताल की सर्जरी टीम और पल्मोनोलॉजी टीम ने मिलकर हैंडल किया. इस मामले में सर्जरी के बाद मरीज की केयर बेहद अहम थी, जिसे अस्पताल में बखूबी अंजाम दिया गया और मरीज के अच्छे रिजल्ट के साथ रिकवरी की.
मरीज के लिए एनएसएआईडी सहन करना मुश्किल था, जिसके चलते उनकी नर्व ब्लॉक हो गई और इस दर्द से मरीज को डॉक्टर अभिषेक बंसल की विशेष तकनीक ने राहत दिलाई. सिर्फ इतना ही नहीं, रिकवरी के दौरान मरीज को डॉक्टर अभिषेक की मदद से काफी आराम मिला.
डॉक्टर मयंक मदान ने इस संबंध में आगे बताया, ”किसी भी सर्जरी की सफलता सर्जरी से पहले की प्लानिंग और वर्कअप पर निर्भर करती है. इस केस में हमारी टीम ने किसी भी तरह की कोई चूक नहीं की और सर्जरी से पहले हर तरह की प्लानिंग की. इसका फायदा ये हुआ कि मरीज का ऑपरेशन बहुत ही आसान तरीके से हो गया, जिसका फायदा मरीज को मिला.”
सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम ने इस केस के जरिए न सिर्फ चुनौतीपूर्ण गॉल ब्लैडर सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने का जश्न मनाया बल्कि यहां टीम का तालमेल और आपसी सहयोग से किए गए प्रयासों का भी रिजल्ट नजर आया. सर्जरी के बाद लगातार फॉलो-अप और क्लोज मॉनिटरिंग मरीज की बेहतर रिकवरी में काफी महत्वपूर्ण होती है.
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