लंदन। जगुआर कुमार के नाम से मशहूर डा. गिडिकुमार पाटिल (Dr Gidikumar Patil) को जंग के मद्देजनर यूक्रेन छोड़ना पड़ा। डा. पाटिल आंध्र प्रदेश लौट तो आए लेकिन उनके पालतू जगुआर व पैंथर यूक्रेन में ही रह गए। वहां उनकी देखभाल एक किसान कर रहा है। अब डा. पाटिल ने अपने पालतू जानवरों को वापस लाने की गुहार लगाई है।
भारत सरकार से लगाई गुहार, यूक्रेन से पालतू जानवरों को कराना चाहते हैं रेस्क्यू
भारत सरकार के समक्ष अपील कर उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध की हालातों में अपने पालतू जानवरों को वहां से निकलना पड़ा। अब उनकी प्राथमिकता अपनी कीमती बिल्लियों- यशा और सबरीना को यूक्रेन से रेस्क्यू कराना है। बता दें कि यशा, लेपर्ड और जगुआर (leopard and jaguar) की हाइब्रिड नर बिल्ली है। वहीं सबरीना मादा ब्लैक पैंथर है। एक स्थानीय किसान के भरोसे अपने पालतू जानवरों को छोड़ 42 वर्षीय डाक्टर को पूर्वी यूक्रेन के लुहान्सक से निकलना पड़ा।
जिस अस्पताल में करते थे काम रूसी बमबारी में हो गया खत्म
यूक्रेन के सेवेरोदोनेत्सक स्थित एक अस्पताल में डा. पाटिल काम कर रहे थे जिसपर रूस ने बमबारी की थी। यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित चिड़ियाघर से दो साल पहले ही डा. पाटिल अपने पालतू जानवरों को लेकर आए थे। अपने यूट्यूब चैनल के जरिए वे अपने पालतुओं की वीडियो शेयर किया करते थे। इनके यूट्यूब चैनल पर 62,000 से अधिक सब्सक्राइबर है।
मात्र एक बैग और कुछ कैश के साथ छाेड़ा था यूक्रेन
मात्र एक बैग, 100 डालर और कुछ हजार रुबल्स के साथ डा. पाटिल ने यूक्रेन छोड़ा था। उस वक्त उनका यूट्यूब चैनल काफी काम आया। इनपर अपलोड वीडियोज से पता चलता है कि जंग से इनका कोई लेना देना नहीं। डा. गिरिकुमार पाटिल साल 2007 से यूक्रेन में रह रहे थे। इस साल फरवरी के अंत में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तब वहां से भारतीयों को निकालने का प्रयास शुरू हुआ। इस क्रम में डाक्टर ने पहले तो अपने पालतू बड़ी बिल्लियों को वहां छोड़ आने से इनकार भी किया था। मूल रूप से आंध्र प्रदेश के गिरिकुमार साल 2007 में मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए थे। 2014 में उनका MBBS का कोर्स पूरा हो गया।
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