देवबंद के गांव गुनारसा स्थित गौशाला में भूख और प्यास से पांच गोवंश की मौत
दो दिन से गोवंश को नहीं मिल रहा था चारा नाराज़,
हिंदू संगठनों का हंगामा, मुख्यमंत्री से की कार्रवाई की मांग
प्रशांत त्यागी, देवबंद। संवाददाता
जहां एक और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गौशालाओं में जाकर स्वयं गोवंश की सेवा करते हैं, तो वहीं सहारनपुर के देवबंद से एक दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है। गांव गुनारसा स्थित गौशाला में पांच गोवंश की भूख और प्यास से मौत हो गई। रात्रि 10:30 बजे जब मीडिया की टीम गौशाला पहुंची तो मौके पर स्थित भौंचक रह गई। बीते 2 दिन से यहां गोवंश चारा न मिलने की वजह से भूख और प्यास से तरसते नजर आए। इतना ही नहीं भूखा रहने के कारण पांच गोवंश भी दम तोड चुके थे, जो एक दिन से गोशाला में ही मृत पड़े रहे हैं। जबकि शेष अन्य गोवंश भी यहां बीमार मिला और उनमें कीड़े चलते नजर आए। इंडिया न्यूज़ का कैमरा जब छोटे गोवंश पर पड़ा तो वहां इससे भी बुरे हालात थे, बड़ी ही क्रुरता से छोटे गोवंश को टीन शैड के नीचे रखा गया था। यहां भी गोवंश में कीड़े चल रहे थे, गोवंश के लिए जो थोड़ा बहुत चारा मौके पर था वह भी सडा हुआ और खराब हालत में था। जिसे अगर कोई भी पशु खा ले तो वह भी बीमार हो जाए। इसी दौरान हिंदू संगठन के लोग भी वहां पहुंचते हैं और संगठन में शामिल कुछ युवा कार्यकर्ता तो गोवंश की भयावह स्थिति देखकर मौके पर ही रोने लगते हैं। इसके बाद हिंदू संगठन के कार्यकर्ता हंगामा शुरू कर देते हैं जिसके बाद वहां पशु विभाग की टीम पहुंचती है और आनन फानन में बीमार पड़े पशुओं का उपचार शुरू कर देती। बेजुबान ना बोलने वाले गोवंश बड़ी ही नाम आंखों से क्षेत्र के लोगों की ओर देख रहा है कि शायद किसी का दिल उनके लिए भी पसीज जाए और उन्हें खाने के लिए चारा मिल जाए।
भगवान श्री कृष्ण की इस धरती पर गोवंश की ऐसी हालत होगी शायद किसी ने ऐसा सपने में भी ना सोचा हो। गोवंश की देखभाल करने वाले पशुपालक ने स्वयं मीडिया के कमरे पर कबूला कि पिछले दो दिन से गोवंश को चारा नहीं मिला है, जो थोड़ा बहुत चारा है वह भी खराब स्थिति में है। मौके पर ही मौजूद गांव के प्रधान से जब मीडिया के लोगों ने बातचीत करने का प्रयास किया तो वह भी मौके पर अपनी जिम्मेदारियां से पल्ला झाड़ते नजर आए। ऐसा ही कुछ हल गौशाला में काम करने वाले मजदूरों का था उनका कहना था कि पिछले चार माह से उनका वेतन भी नहीं मिला। जब प्रदेश की गौशालाओं में ऐसी हालत है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अब सोचने के लिए यह मजबूर हो जाना चाहिए कि इसके लिए किसकी जिम्मेदारी तय की जाए।