11 सितंबर का आतंकी हमला विश्व इतिहास का सबसे उग्र, बड़ा और भंयकर आतंकवादी हमला माना जाता है

संयुक्त राज्य अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को हमला अल-क़ायदा द्वारा समन्वित आत्मघाती हमलों की एक श्रंखला थी। अमेरिका में उस उस दिन सबेरे, 19 अल कायदा आतंकवादियों ने चार वाणिज्यिक यात्री जेट वायुयानों का अपहरण कर लिया गया था। आतंकियों ने चार पैसेंजर एयरक्राफ्ट हाईजैक किए थे और आतंकियों ने दो यात्री विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावर में घुसा दिए थे। वहीं, तीसरे विमान से पेंटागन पर हमला किया गया था, जबकि चौथा प्लेन पेन्सिलवेनिया में क्रैश हो गया था।


इस हमले में 400 पुलिस अफसरों और फायर फाइटर्स समेत 2983 लोगों की मौत हुई थी और तथा 19 अपहरणकर्ता मारे गए थे। इन हमलो में मरने वालों में 57 देशों के लोग शामिल थे।विश्व इतिहास का सबसे उग्र, बड़ा और भंयकर आतंकवादी हमला माना जाता है। इन हमलों के अपहर्ताओं में से पंद्रह सऊदी अरब से, दो संयुक्त अरब अमीरात से, एक मिस्र से (मोहम्मद अत्ता) और एक लेबनान से था।
इससे पहले अगस्त 1998 को ओसामा बिन लादेन के आतंकी संगठन अल कायदा ने नैरोबी, केन्या और तंजानिया के अमेरिकी दूतावासों पर आतंकवादी हमला किया था। तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश एक स्कूल के दौरे पर थे, तभी स्टाफ इनचार्ज एंड्रयू कार्ड ने उन्हें हमले की सूचना दी थी।
अमेरिका में विमानों के जरिये हमले करने का आइडिया ओसामा बिन लादेन के दिमाग में 1999 में हुए मिस्र में एक विमान के उस हादसे से आया था, जिसमें पायलट कामिल ने जानबूकर अपना विमान अटलांटिक महासागर में गिरा दिया था। इस घटना में 217 लोग मारे गए थे, जिनमें 100 अमेरिकी शामिल थे।
अमेरिका की सरकार ने सन 2001 में हमलों के कुछ महीनों बाद इनविहमलों की जांच के लिए न्यू जर्सी के भूतपूर्व गवर्नर थामस कीन की अध्यक्षता में 9/11 कमीशन बनाया था, जिसने सन 2001 में हमलों के बारे में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा की इस हमले में शामिल सभी 19 आतंकवादी अल – कायदा के थे और हमलों को रोकने में सीआईए और ऍफ़ बी आई जैसी जासूसी एजेंसियों का खुफिया तंत्र विफल रहा था।
अमेरिका में हमले के दिन 11 सितंबर 2001 में एयरफोर्स वन ने उस समय के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के लिए फ्लोरिडा के सारासोटा से एंड्रयूज वायुसेना अड्डे तक की उड़ान के दौरान बंकर का काम किया था। उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन पूरे उत्तरी अमेरिका में उड़ान भर रहा यह एकमात्र विमान था। जार्ज बुश सीधे व्हाईट हाउस पहुचे और हालात का जायजा लिया। उस समय जो विमान पहले से ही उड़ान में थे उनको या तो वापस भेज दिया गया या कनाडा अथवा मैक्सिको के हवाई अड्डों पर उतरने के लिए भेज दिया गया था।
इन हमलों ने पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में, समाचार संगठनों और हवाई यातायात नियंत्रकों में बड़े पैमाने पर भ्रम उत्पन्न कर दिया। सभी अंतर्राष्ट्रीय नागरिक हवाई यातायात के लिए तीन दिनों के लिए अमेरिकी भूमि पर उतरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।


अमेरिका में हमले के कुछ ही घंटों के अंदर, एफबीआई (FBI) संदिग्ध विमान चालकों तथा अपहरणकर्ताओं के नाम तथा कई मामलों में निजी विवरण भी निर्धारित करने में सफल हो गई थी।
इन हमलों के नौवें दिन 20 सितम्बर 2001 को अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति बुश ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के सामने पांच मांगें अल कायदा के सारे लीडर अमेरिका के हवाले करने, तालिबान सरकार गिरफ्तार किए गए सभी विदेशी नागरिकों को फौरन रिहा करने, विदेशी पत्रकारों और दूतावास कर्मियों को सुरक्षा मुहैया करने, आतंकवादियों के सभी ट्रेनिंग कैंप बंद करके आतंकवादियों को गिरफ्तार करने की रखी थी और सबसे महत्वपूर्ण मांग यह थी कि ट्रेनिंग कैंपों के बंद होने की पुष्टि के लिए अमेरिका को सभी ट्रेनिंग कैंपों का मौका मुआइना करने की इजाजत दी जाए। इन मांगों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने कहा था कि वे आतंकवादियों को हमारे हवाले करेंगे, नहीं तो नतीजा भुगतेंगे।
अमेरिका के राष्ट्रपति बुश की मांगें ठुकराते हुए अफगानिस्तान के इस्लामाबाद स्थित राजदूत मोहम्मद सोहेल शाहीन ने कहा था कि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के खिलाफ कोई सबूत नहीं दिए हैं। ओसामा अफगानिस्तान का मेहमान है।
अमेरिका में 11 सितम्बर 2001 की घटना के छब्बीसवें दिन सात अक्टूबर को अमेरिका ने जब अफगानिस्तान पर हमला शुरू किया तब जनरल परवेज मुशर्रफ ने युद्ध के फैसले के बारे में एक अमेरिकी टीवी चैनल सीबीएस को दिए गए एक इंटरव्यू में बताया था कि अमेरिका ने पाकिस्तान को धमकी दी थी कि अगर पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका का साथ न दिया, तो अमेरिका पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। वर्ष 2001 तक पाकिस्तान तालिबान का सबसे बड़ा समर्थक का था।
इन हमलों के बाद अमेरिका ने आतंक के खिलाफ नए अभियान की शुरुआत की। इन हमलों के जिम्मेदार अलकायदा के प्रमुख ओसाबा बिन लादेन को अमेरिका ने ढूढ़ना शुरू किया और करीब 10 सालों के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाट में 9/11 हमलों के दोषी अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। अमेरिका के आक्रमण के बाद अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को सत्ता से हटा दिया गया था। जिससे देश में फिर से लोकतान्त्रिक रूप से चुनाव किये गए और देश में एक लोकतान्त्रिक राजनीती की शुरुआत हुई।
हर वर्ष अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में 9/11 के हमलों में मारे गए लोगों को श्रद्धाजंलि दी जाती है। हम चाहते है कि दुनिया में आतंकवाद खत्म होना चाहिए।

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