अशोक बालियान, चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
मेवात में 31 जुलाई 2023 को दंगाइयों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है और हिंसा में काफी नुकसान की खबरे भी मिल रही है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता भगवा यात्रा निकाल रहे थे, इसी दौरान यात्रा पर पथराव शुरू हो गया और हिंसा भड़क गई थी। हिंसा के दौरान लगभग 3000 हिंदू महिला एवं पुरुष फँसे हुए थे, जिन्हें पुलिस ने एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर ममता सिंह के नेतृत्व में सुरक्षित निकाल लिया था। हरियाणा का जनपद नूह, जिसे पहले मेवात के नाम से जाना जाता था, हरियाणा का एकमात्र मुस्लिम बहुल जिला है।
नूंह की लगभग 79 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। आजादी के बाद धर्म के आधार पर देश का बंटवारा होने पर मेवात के लाखों मुसलमान भी पाकिस्तान जाने की तैयारी में थे। इतना ही नहीं राजस्थान के अलवर जिले में रहने वाले मेव भी एकत्रित होकर काफिले के रूप में यहां से पलायन करने का मन बना चुके थे, लेकिन गाँधी जी ने इन्हें रोक लिया था। जबकि वर्ष 1920 के दशक में मोहम्मद इलियास की अगुवाई में यहां एक आंदोलन शुरू हुआ था, जिसमे बंटवारे का समर्थन किया था।
इस इलाके में 12वीं से लेकर 17वीं शताब्दी के बीच मुगलों के दबाव में जिस क्षत्रिय और राजपूत समुदाय के लोगों ने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल किया था, लेकिन वे कभी दिल से मुस्लिम नहीं बन पाए थे, करीब 50 साल पहले तक इस इलाके के मुस्लिम-राजपूत समुदाय में कई रश्में एक जैसी होती थीं, वे हिंदुओं की तरह एक ही गोत्र में शादी तक नहीं करते थे।
एक समय था जब अनेक स्थानों पर मुस्लिम दुबारा हिन्दू बनना चाहते थे। वर्ष 1865 तक हरियाणा के करनाल में बहुत से मुस्लिम किसान अपने पुराने गांवों के देवताओं की पूजा करते थे। स्वामी श्रद्धानंद के मेवात के मुस्लिमों के लिए घर वापिसी व शुद्धि आन्दोलन पर गाँधी जी ने स्वामी श्रद्धानंद जी को बुलाकर उन्हें कहा कि आप घर वापिसी व शुद्धि का काम छोड़ दें। इस घटना के बाद मेवात क्षेत्र में वर्ष 1926 में इस्लामी विद्वान मौलाना मुहम्मद इलियास ने तब्लीगी जमात की स्थापना की थी, ताकि घर वापिसी न हो सके। सऊदी पैसा आने के बाद तो उत्तरप्रदेश से सैंकड़ों इमाम मेवात की मस्जिदों में आ गए थे और इनकी विचारधारा ही बदल दी थी।
हरियाणा के मुस्लिम बहुल मेवात क्षेत्र में आर्य समाज के स्वामी समर्पणानंद जी ने भी मुस्लिम नेताओं के सामने हिन्दू बनने का प्रस्ताव रखा था, इसके उत्तर में उस समय के मुस्लिम नेता खुर्शिद अहमद, जो स्वयं धोती कुर्ता पहनते थे और पगड़ी बांधते थे, सहमत थे लेकिन कुछ कारणों से यह घर वापिसी नहीं हो सकी थी।
भारत में कई कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन सक्रिय हैं, जो मुस्लिम युवाओं को कट्टरता के रास्ते पर धकेलने में संयुक्त रूप से लिप्त हैं, वे मुस्लिम लोगों में पीड़ित होने की भावना भी पैदा करते हैं। ये संगठन इस्लामिक धर्मग्रंथों और अवधारणाओं की कट्टरपंथी व्याख्या करते हैं, जोकि चिंता का विषय है। कट्टरपंथी संगठनों का मुकाबला करने के लिए उदारवादी मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं को भरोसे में लेना जरूरी है। सुरक्षा एजेंसियों और राज्य पुलिस को कट्टरपंथी संगठनों से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के बारे में संवेदनशील होने की आवश्यकता है।
पिछले 25 साल में मेवात के 431 गांवों में से 103 में एक भी हिंदू परिवार नहीं है। क्षेत्र के 82 गांवों में अब नाममात्र के हिंदू परिवार ही बचे हैं। मेवात क्षेत्र गोकशी, वाहन चोरी, लूट,डकैती से लेकर साइबर क्राइम का गढ़ बना चुका हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार मेवात जिले में सबसे कम साक्षरता दर (54.08 प्रतिशत) थी, जबकि दूसरी ओर गुड़गांव जिले (84.4 प्रतिशत) में राज्य में सबसे अधिक साक्षरता थी।
देश में कट्टरवाद के क्षेत्रों की पहचान और निगरानी करने पर जोर दिया जाना चाहिए। चरमपंथ फैलाने और कट्टरपंथी संगठन की क्षमता के बारे में पूर्व विश्लेषण किया जाना चाहिए और इसके अनुसार प्रभावी कार्रवाई की योजना शुरू की जानी चाहिए।