लेख-अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दिनांक 07 दिसम्बर को कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या मामले के अपने निर्णय में यह स्वीकार किया है कि राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद नहीं बनाई गई थी, लिहाजा मुगल बादशाह बाबर “खुद पर लगे इल्जाम से बरी हो चुका है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि बाबरी मस्जिद खाली ज़मीन पर नहीं बनाई गई थी और मस्जिद के निर्माण से पहले वहाँ पर मंदिर जैसी संरचना होने प्रमाण भी मिले हैं।
मौलाना अरशद मदनी ने अपने बयान में यह भी कहा है कि आस्था की बुनियाद पर उच्चतम न्यायालय ने हिन्दू पक्ष को बाबरी मस्जिद दे दी थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आयोध्या जमीन विवाद मामले में अपने निर्णय में यह कहा था कि आस्था और विश्वास के आधार पर मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता।
मौलाना अरशद मदनी ने मुगल बादशाह बाबर के बारे में बात करते हुए अपने बयान में कहा है कि मुगल बादशाह बाबर “खुद पर लगे इल्जाम से बरी हो चुका है। यह समझ से परे है कि मौलाना अरशद मदनी एक विदेशी बर्बर आक्रमणकारी शासक बाबर को किस आधार पर राम जन्मभूमि मन्दिर तोड़ने के आरोप से बरी कर रहे है। जिस समय सन 1528 में बाबर के आदेश पर राम जन्मभूमि मन्दिर को तोडा गया था, उस समय तो मौलाना अरशद मदनी के पूर्वज भी हिन्दू ही थे, क्योकि उत्तर भारत में अधिकतर धर्मांतरण औरंगजेब के समय में हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के अपने 1045 पन्ने के ऐतिहासिक फ़ैसले में अनेकों पुस्तकों व दस्तावेजों का ज़िक्र किया था। एक हज़ार से भी ज़्यादा पन्नों वाले इस फ़ैसले में बृहद धर्मोत्तर पुराण का ज़िक्र था, जिसके अनुसार अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जैन)और द्वारावती (द्वारका) हिन्दुओं के बहुत ही पवित्र स्थान है।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के अनुसार राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इसके पक्ष में जो साक्ष्य या दलीलें पेश की गईं थी, उनमें वाल्मीकि रचित ‘रामायण’ (जो ईसा पूर्व लिखा गया था) और ‘स्कंद पुराण के वैष्णव खंड’ के अयोध्या महात्म्य का ज़िक्र है। रामायण (महाभारत और श्रीमद भगवतगीता के लिखे जाने से पहले की रचना) के अनुसार राम का जन्म राजा दशरथ के महल में हुआ था और उनकी माता का नाम कौशल्या है। स्कंद पुराण आठवीं सदी में लिखा गया था। और इसके अनुसार राम की जन्म भूमि पर जाना मोक्ष के समान है और इसमें राम के जन्म की सही जगह भी बताई गई है। इसी परिप्रेक्ष्य में तुलसीदास के ‘रामचरित मानस’ का भी ज़िक्र है, जिसे सन 1574 में लिखा गया था।
लेख-अशोक बालियान
विदेशी यात्री विलियम फिंच ने सन 1610 से 1611 के बीच भारत का दौरा किया था। उनके यात्रा वृतांत “अर्ली ट्रैवल्स इन इंडिया” पुस्तक में है,इसमें अयोध्या में रामचंद्र के महल और घरों के अवषेश के बारे में बताया गया है। 18वीं सदी में भारत की यात्रा करने वाले एंग्लो-आइरिश अधिकारी मोन्टगोमरी मार्टिन और जोसेफ़ टिफेन्टालर (यूरोपीय मिशनरी)की यात्रा वृतांत के हवाले से सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में कहा गया है कि विवादित ज़मीन पर हिंदू सीता रसोई, स्वर्गद्वार और राम झूले की पूजा करते थे। अदालत में पेश की गई किताबों में एक सन 1856 में छपी हदीत-ए-सेहबा भी थी, जो मिर्ज़ा जान द्वारा लिखी गयी थी इस पुस्तक में भी राम जन्म की जगह के नज़दीक सीता की रसोई का ज़िक्र है।
अयोध्या और फ़ैज़ाबाद के ऑफ़िशिएटिंग कमिश्नर एंड सेटलमेंन्ट ऑफ़िसर पी कार्नेगी द्वारा बनाई गयी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि “अयोध्या का हिंदुओं के लिए वही महत्व है, जो मुसलमानों के लिए मक्का और यहूदियों के लिए यरूशलम का है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सन 1528 में सम्राट बाबर ने जन्म स्थान की जगह पर मस्जिद बनवाई थी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का विदेशी आक्रमणकारी शासक बाबर को राम जन्मभूमि मन्दिर तोड़ने के इल्जाम से बरी करने का बयान उचित नहीं है। मौलाना अरशद मदनी समय-समय पर जिस तरह से गलत तथ्यों के आधार पर बयान देते हैं, उन्हें यह नहीं करना चाहिए और इस तरह के महत्वपूर्ण विषयों वास्तविक तथ्यों के आधार पर ही बयान देने चाहिए। उन्हें भारत में विदेशी इस्लामिक शासन की बर्बरता का वह इतिहास भी पढना चाहिए, जिसमें विदेशी इस्लामिक शासकों ने जबरन धर्मांतरण कराया था।