लेख-ध्रुव गुप्ता पूर्व आईपीएस
मणिपुर में ज़ारी संघर्ष में एक समुदाय की लड़कियों को दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा सड़कों पर नंगा घुमाने, बलात्कार करने तथा पिता और भाई द्वारा प्रतिरोध करने पर उनकी हत्या की ख़बर से आज सारा देश गुस्से से भरा हुआ है। वहां यह सब महीनों से होता रहा है। यह ख़बर एक वीडियो के वायरल होने से ही सुर्खियों में आ सकी। यह सिलसिला शायद रुकने वाला नहीं है। आने वाले दिनों में पीड़ित समुदाय के लोग आक्रांता समुदाय की लड़कियों को नंगा घुमाएंगे और बलात्कार करेंगे। देश-दुनिया के लिए ऐसी घटनाएं नई नहीं हैं। अपने देश के कई दूसरे प्रांतों से भी दुश्मनी साधने के लिए एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष की स्त्रियों के साथ बलात्कार और दुर्व्यवहार की खबरे आती रही हैं। कुछ सालों पहले देश के एक दूसरे हिस्से में घटी एक वीभत्स घटना की यादें अब भी ताज़ा हैं जब एक आपसी विवाद में छह लोगों ने अपहरण कर बेबस पिता की आंखों के आगे उसकी पंद्रह और तेरस साल की दो- दो बेटियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया था। हमेशा से ही पुरुषों के बीच के विवाद या संघर्ष की कीमत अपनी देह, इज्ज़त, आत्मा और स्वाभिमान के तौर पर औरत ही चुकाती रही है। जबतक शत्रु के घर की स्त्रियों की इज्जत और स्वाभिमान के परखच्चे न उड़ा दिए जायं, पुरुषों के विजय के दर्प और सुख अधूरे ही रह जाते हैं।ऐसी ख़बरों से आमतौर पर न लिखनेवाले की संवेदना जगती है और न पढ़ने वाले की। कहीं कोई हंगामा बरपा नहीं होता। ऐसा भी नहीं है कि यह आज के दौर की विकृतियां हैं। सदा से पुरुष अहंकार और वासना का चेहरा ऐसा ही रहा है। प्राचीन और मध्य काल के युद्धों की कहानियां पढ़कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं जब विजेताओं द्वारा पराजित राज्य की संपति ही नहीं लूट ली जाती थी, शत्रु राज्य की युवा स्त्रियों को घरों से निकालकर कई-कई दिनों तक उनके साथ सामूहिक बलात्कार होते थे। शायद मर्दों की मानसिक बनावट में ही ईश्वर से कुछ त्रुटि हुई है। एक ऐसी त्रुटि जिसे हजारों साल में सैकड़ों अवतार और पैगंबर मिलकर भी नहीं सुधार सके।
क्या करें दिनों दिन बेरहम और संवेदनाशून्य होती जा रही इस दुनिया का ? क्या अब इसे नष्ट नहीं हो जाना चाहिए ?
ध्रुव गुप्ता
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