हमारे देश की सबसे शक्तिशाली इमारत हमारा नया संसद भवन है जिसकी चर्चा आज हर तरफ हो रही है। यह नया संसद भवन एक प्राचीन भारतीय मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। जी हां.. हमारे देश में कई प्राचीन मंदिर हैं, उन्हीं में से एक है मध्य प्रदेश के विदिशा का विजय मंदिर। जिसकी तर्ज पर हाल ही में नए संसद भवन का निर्माण किया गया है। नए संसद भवन की डिजाइन काफी हद तक इस मंदिर से मेल खाती है।
विजय मंदिर मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित एक किले के अंदर बना हुआ है। इस मंदिर का उल्लेख 1024 में महमूद गजनवी के साथ आए विद्वान अलबरूनी ने अपनी पुस्तकों में किया है। उनके अनुसार यह मंदिर उस समय के सबसे बड़े मंदिरों में से एक था। कहा जाता है कि इस मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहां दिन-रात पूजा चल रही थी।
इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के राजा कृष्ण के प्रधान वाचस्पति ने विदिशा पर विजय प्राप्त करने के बाद करवाया था। इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान सूर्य हैं, इसलिए इसका नाम भेलिसवामिन (सूर्य) पड़ा। इस जगह का नाम पहले भेलसानी और बाद में भेलस्वामिन से भेलसा रखा गया।
इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर मुगल काल के सबसे बड़े मंदिरों में से एक था। इसकी भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह मंदिर करीब आधा मील लंबा और चौड़ा था। इसकी ऊंचाई लगभग 105 गज थी, जिससे मंदिर का शिखर दूर से दिखाई देता था। विजय मंदिर अपने आकार और प्रसिद्धि के कारण हमेशा मुस्लिम शासकों के लिए एक कांटा रहा है।
इस मंदिर पर कई बार हमले हो चुके हैं
इतिहासकारों के अनुसार विजय मंदिर पर पहला हमला मुस्लिम आक्रमणकारी इल्तुतमिश ने 1233-34 में किया था। फिर साल 1250 में इसका पुनर्निर्माण किया गया। कुछ वर्षों बाद 1290 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के मंत्री मलिक काफूर ने फिर आक्रमण कर इसे नष्ट कर दिया। 1460 ईस्वी में महमूद खिलजी और 1532 में गुजरात के शासक बहादुर शाह ने मंदिर को और क्षतिग्रस्त कर दिया।
मंदिर के पूर्ण विनाश के बाद भी लोगों की इस मंदिर में गहरी आस्था थी। मुगल शासक औरंगजेब ने 1682 में इस मंदिर को तोपों से उड़ा दिया था। आज मंदिर के कुछ हिस्सों में तोप दागे जाने के निशान देखे जा सकते हैं। औरंगजेब की मृत्यु के बाद, हिंदुओं ने फिर से इस स्थान पर पूजा करना शुरू कर दिया। 1760 में, पेशवा ने इस मंदिर की महिमा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया।
देश के मौजूदा संसद भवन की बनावट भी मध्य प्रदेश के मुरैना स्थित चौसठ योगिनी मंदिर जैसी ही है, जिसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने बनवाया था। अब नए संसद भवन का निर्माण भी मध्य प्रदेश के विजय मंदिर जैसा ही है। यानी भारत के सबसे शक्तिशाली भवन का इतिहास मध्यप्रदेश से आजादी के पहले भी जुड़ा है और जुड़ा रहेगा।
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