रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia Ukraine War) को शुरू हुए 15 महीने से ज्यादा समय हो चुका है. इस जंग में रूस ने यूक्रेन के कई शहरों पर कब्जा कर लिया. वहीं, कई क्षेत्रों में यूक्रेन की सेना ने डटकर सामना भी किया, जिसके कारण रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा. हालांकि, अब रूसी सेना ने पूर्वी यूक्रेन के शहर बखमुत पर पूर्ण नियंत्रण का दावा किया है. ये पुतिन के लिए जंग में एक टर्निंग पॉइंट माना जा रहा है.
बखमुत के छिन जाने की यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने भी पुष्टि की है. जेलेंस्की ने अभी कहा कि हमारे शहर पर दुश्मन की सेना काबिज हो गई है. इससे पहले जेलेंस्की सरकार के मंत्रियों का कहना था कि वे पूरी ताकत से दुश्मन का मुकाबला करेंगे और अपने शहरों की रक्षा करेंगे.
रूस के वैगनर ग्रुप का दावा- हमने बखमुत को जीत लिया
रूस की प्राइवेट आर्मी के वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने यह दावा किया था कि उन्होंने बखमुत पर विजय पा ली है. टेलीग्राम पर पोस्ट एक वीडियो में प्रिगोझिन ने दावा किया है कि उनके लड़ाकों ने यूक्रेन के साथ साल भर से ज्यादा समय से चल रही सबसे लंबी खूनी लड़ाई का केंद्र बने पूर्वी यूक्रेन के बखमुत शहर पर कब्जा कर लिया है. हालांकि, उन्होंने माना कि उनके हमले में शहर में बड़े पैमाने पर बर्बादी भी हुई है. उनके वीडियो में खंडहर हो चुकी इमारतें और दूर हो रही विस्फोट की आवाजें सुनाई दे रही थीं.
‘यह जीत पुतिन के लिए एक टर्निंग पॉइंट’
वहीं, ग्लोबल एक्सपर्ट्स का कहना है कि बखमुत पर रूस का कब्जा होना जंग की एक बड़ी घटना है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बखमुत पर रूसी लड़ाकों के कब्जे का मतलब है, यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र के दो बड़े शहरों- क्रामटोरस्क और स्लोवियनस्क तक रूसी तोपखाने की पहुंच का आसान होना. बखमुत के सामरिक महत्व का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने मार्च के महीने में ही एक इंटरव्यू में ये कहा था कि उन्हें डर है- अगर रूसी सेना ने बखमुत को कब्जे में ले लिया तो दोनों शहरों तक उन (पुतिन) की पहुंच आसान हो जाएगी. जेलेंस्की ने इसी भय की वजह से हर हाल में बखमुत पर अपने सैनिकों को कब्जा बरकरार रखने का आदेश दिया था, जो एक सामरिक निर्णय था.
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