भारतीय कुश्ती प्रशासन में उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा-अशोक बालियान,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवानों धरना चल रहा है। इनका समर्थन करने हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कुछ खाप चौधरी जंतर-मंतर पहुचें है। पहलवानों का पक्ष लेते हुए इन्होने भी बृजभूषण सिंह के खिलाफ तुरंत एफआईआर (FIR) दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है। दूसरी तरफ 7 महिला रेसलर्स की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा। आज सुनवाई के दौरान अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि सीधे एफआईआर (FIR) दर्ज की जानी है तो ऐसा किया जा सकता है।
इन पहलवानों ने तीन महीने पहले भी धरना दिया था और खेल-मंत्रालय के साथ ही भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को भी एक शिकायत की थी। इनकी ही शिकायत पर एक जांच समिति तो आइओए ने बनाई थी और दूसरी समिति खेल-मंत्रालय ने बना दी थी। इन समितियों ने अभी तो अपनी रिपोर्ट ही दी है। इसलिए इन पहलवानों को रिपोर्ट के निष्कर्षों तक इंतजार करना चाहिए था। भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा है कि पहलवानों का सड़कों पर प्रदर्शन करना अनुशासनहीनता है। इससे भारत की छवि खराब हो रही है। इस गम्भीर विषय पर पहलवान भी बाते हुए है। भारतीय रेसलिंग में मचे घमासान में अर्जुन अवार्डी पहलवान दिव्या काकरान भी मैदान में उतर आईं थी। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर लग रहे आरोपों को दिव्या ने गलत बताया था।
तीन महीने पहले जब ये पहलवान धरने पर बैठे थे, तो पहलवानों के अनुरोध पर ही कमेटी बनी थी। इस समिति में मैरीकॉम, योगेश्वर दत्त जैसे वर्ल्ड चैंपियन हैं। डोला बनर्जी, तृप्ति मरुगंडे जैसे खिलाड़ी, दो बड़े वकील, राजगोपाल जैसे सीईओ, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर राधिका श्रीमान भी उसी कमिटी में है। अब ऐसी जांच समिति को भला आप कैसे गलत कह सकते हैं। खुद बबीता फोगाट भी उस समिति की एक सदस्य थीं, जो पहली बार धरना-प्रदर्शन का हिस्सा रही थीं। इस समिति ने लगभग 8 सप्ताह तक सभी संबंधित पार्टियों को बुलाकर, ऑन कैमरा एफिडेविट देकर उनके बयान लिए है।
जो पहलवान और खिलाड़ी धरना पर बैठे हैं, उनको कैसे पता कि समिति ने कुछ नहीं किया? समिति ने सबको सुना, जो साक्ष्य दिए, वो ऑन रिकॉर्ड बाकायदा वीडियोग्राफी करवा कर रिकॉर्ड किए गए है। समिति ने सवाल पूछे, रेश्लरों ने जवाब दिए व शपथ-पत्र दिये है, तो फिर आप कैसे कह सकते हैं कि समिति ने कुछ नहीं किया है। कम से कम समिति की रिपोर्ट तो आने दीजिए। आप अभी से कैसे और क्यों मान बैठे हैं कि रिपोर्ट में बृजभूषण सिंह को या फेडरेशन को क्लीन-चिट मिल गई है?
जहां तक एफआईआर (FIR) की बात है, तो उसका एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर होता है। अगर ताजा मामला है, जैसे कल रात की घटना है और पीड़िता अगर थाने पहुंचती है, तो तुरंत एविडेंस इकट्ठा करने के लिए आरोपित को तुरंत हिरासत में लेती है, ताकि फॉरेंसिक एविडेंस मिल सकें। यहां तो मामला 10 साल पुराना है, 5 साल पुराना है, तो पुलिस ने इनकी शिकायत ले ली है और जांच शुरू कर दी है। उस जांच में सरकार से दिल्ली पुलिस ने दोनों कमेटी की रिपोर्ट भी मांगी है। अब आरोप लगाने वाले पहलवानों को पुलिस बुलाएगी और साक्ष्य में अगर दम हुआ तो एफआईआर दर्ज हो जाएगी।
पिछली बार जब पहलवान धरने पर बैठे थे तो वृंदा करात जैसी नेत्री को भी इन्होंने मंच से उतार दिया था। यहां तक कि बॉक्सर विजेंद्र सिंह को भी मंच नहीं दिया था। अब इस बार ये कह रहे हैं कि जो भी उनका समर्थन करने आएगा, उसका स्वागत है।
केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा है कि जंतर-मंतर पर बैठे पहलवानों के साथ हमने मीटिंग की थी। उनकी बात सुनकर कमेटी बनाई थी, हम निष्पक्ष जांच चाहते थे। पहलवानों के कहने पर ही बबीता फोगाट को कमेटी में शामिल किया गया था। हमारी राय है कि पहलवान बेटियों के इन गम्भीर आरोपों बनी दोनों समितियों की रिपोर्टों पर प्रभावी कार्यवाही हो और जरूरत हो तो और कोई उच्च स्तरीय जाँच हो, ताकि सच सामने आ सके।

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