विकास के साथ विनाश की अनदेखी का नतीजा है जोशीमठ का संकट

द हिंदुकुश हिमालय असेसमेंट” के अनुसार, इस क्षेत्र में 24 करोड़ से अधिक आबादी रहती है।

यहां से 10 नदी बेसिन की उत्पत्ति होती है। इन नदी बेसिन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 1.9 बिलियन लोग लाभांवित होते हैं।” ऐसे में अगर हिंदुकुश हिमालय पर संकट आता है तो क्षेत्र की आबादी के साथ ही इसके संसाधनों पर निर्भर करोड़ों लोगों पर प्रभाव पड़ेगा।

पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इस क्षेत्र में बेलगाम पर्यटन स्थानीय पर्यावरण के लिए परेशानी का सबब बनकर उभरा है क्योंकि इसके दबाव के चलते जारी निर्बाध व्यवसायिक गतिविधियों से यह अपने प्राकृतिक स्वरूप को खोकर विकृत हो रहा है। भारत के हिस्से में आने वाला हिमालय क्षेत्र 2500 किलोमीटर लंबा और 220-330 किलोमीटर चौड़ा है और यह 11 राज्यों व 2 केंद्र शासित प्रदेशों में फैला है। करीब 5 करोड़ लोग इस क्षेत्र में रहते हैं।

आईसीआईएमओडी की रिपोर्ट कहती है कि अधिकांश हिंदुकुश हिमालय क्षेत्र में पर्यटन का विकास बहुत गलत तरीके से किया गया है। इस गलत विकास के चलते बने होटल, रेस्तरां, कैंपिंग साइट, गेस्ट हाउस आदि ने पर्वतीय पर्यावरण पर बुरा असर डाला है। पर्यटन ने यहां पारिस्थितिकी क्षरण में बहुत योगदान दिया है।

धर्मेंद्र मलिक किसान नेता

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