वाराणसी। स्वस्थ मां के गर्भ में पल रहे शिशु की मृत्यु की वजह पता करने का प्रयास किया जाएगा। ऐसे कई मामले आते हैं जब मां की सारी चिकित्सकीय रिपोर्ट सामान्य होती है, इसके बाद भी गर्भावस्था के दौरान शिशु की मृत्यु हो जाती है। माता-पिता को वजह नहीं पता हो पाती और मां को भविष्य की गर्भावस्था में भी कुछ ऐसी ही तकलीफों से गुजरना होता है।

बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में फीटल आटोप्सी की सुविधा शुरू होगी। चिकित्सा प्रक्रिया में शिशु के शरीर की जांच की जाएगी। यह प्रक्रिया शिशु के माता-पिता के लिए बहुत ही भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण होगी लेकिन यह उन्हें अपने शिशु की मृत्यु के कारण को समझने में मदद करेगी।

चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एसएन संखवार की अध्यक्षता में विभागीय बैठक में यह सुविधा शुरू करने पर सहमति बनी है।शहर के चुनिंदा निजी पैथोलाजी में यह सुविधा उपलब्ध है, लेकिन इसके लिए स्वजनों को 15 से 20 हजार रुपये खर्च करना होता है।

बीएचयू अस्पताल में यह सुविधा बहुत कम शुल्क पर उपलब्ध होगी, पूर्वांचल में इसकी लंबे समय से जरूरत है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रो. शिखा सचान ने बताया कि हर महीने दो से तीन केस सिर्फ बीएचयू अस्पताल में आते हैं, जिसमें मां स्वस्थ होती है, इसके बाद भी गर्भावस्था के दौरान उसके बच्चे की मृत्यु हो जाती है।
मां-बाप जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि उनके साथ ऐसे क्यों हुआ। कोशिश है कि प्रसूति एवं स्त्री रोग, एनाटमी, पैथोलाजी, माइक्रोबायोलाजी व जेनेटिक समेत आधा दर्जन विभागों के समन्वय से योजना को धरातल पर उतारा जाए। गर्भावस्था के दौरान आनुवंशिक अथवा जन्मजात विकारों, संक्रमणों या जटिलताओं के बारे में जानकारी मिल सकेगी, इसके कारण माता-पिता को भविष्य में परिवार नियोजन और चिकित्सा प्रबंधन में मदद मिलेगी। यह प्रक्रिया पैथोलाजी विभाग के विशेषज्ञ पूरी कराएंगे। पैथोलाजिस्ट भ्रूण की बाहरी और आंतरिक जांच करता है और आगे की जांच के लिए अंगों या ऊतकों के नमूने लेता है।

फीटल आटोप्सी शुरू करने का प्रयास चल रहा है। योजना का स्वरूप तय कर लिया गया है। विभागों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है। हालांकि, आटोप्सी के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी।  प्रो. एसएन संखवार, निदेशक, आइएमएस बीएचयू

भ्रूण चिकित्सा के नवीनतम अनुसंधान की साझा की जानकारी
आइएमएस बीएचयू के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की तरफ से आब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलाजिकल सोसाइटी के सहयोग से केएन उडुप्पा सभागार में फीटल मेडिसिन पर सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम आयोजित हुआ। भ्रूण चिकित्सा के नवीनतम अनुसंधानों, तकनीकी प्रगति और उपचार विधियों की जानकारी साझा की गई।
एम्स दिल्ली की प्रो. अपर्णा शर्मा ने एंटेनैटल स्क्रीनिंग के महत्व पर प्रकाश डाला, जो गर्भावस्था के दौरान मां और भ्रूण की समयपूर्व जांच और देखभाल को बेहतर बनाने में सहायक होती है। डा. मंदाकिनी ने खराब प्रसूति इतिहास वाली महिलाओं के लिए उपलब्ध जेनेटिक जांचों की चर्चा की, जिनसे बार-बार गर्भपात जैसी समस्याओं की रोकथाम संभव है।
प्रो. रायना सिंह, प्रो. अनुराधा और प्रो. संगीता ने जानकारी साझा की। प्रो. ईशान, डा. रश्मि, डा. उषा, डा. दिव्या, डा. ऋतु एवं प्रो. शिखा ने पैनल में भ्रूण चिकित्सा से संबंधित जटिल मामलों, नैतिक प्रश्नों और क्लिनिकल निर्णयों पर चर्चा की। इस अवसर पर प्रो. मंजरी, प्रो. नीलम, प्रो. मधु, प्रो. लवीना, प्रो. उमा पांडेय व प्रो. ममता आदि मौजूद रहीं।

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