ऐसे ही कैंसर, रीढ़ की हड्डी में समस्या, लिवर, गुर्दा प्रत्यारोपण समेत दूसरी गंभीर बीमारियों के कारण जिंदगी की जंग लड़ रहे पीड़ितों के साथ प्रदेश की योगी सरकार खड़ी दिख रही है। हमदर्दी ऐसी कि भाजपा की वर्ष 2017 में प्रदेश में सरकार बनने के बाद पिछले सात वर्षों में मदद देने के मामलों हर साल अपने ही रिकार्ड टूटते गए।
इसमें मुख्यमंत्री कार्यालय से अंतिम रूप में 7,053 को स्वीकृति मिली, जिसमें 5,909 को आर्थिक मदद संबंधित अस्पतालों को भेज भी दी गई है। बाकी आवेदनों पर भी जांच समेत दूसरी प्रक्रिया चल रही हैं। आंकड़ों के अनुसार, 100 आवेदनों में 99.33 पात्र आवेदकों को धनराशि दिलाने में सफलता मिली है।
वर्षवार ऐसे बढ़ी लाभार्थियों की संख्या
- 5,909 लाभार्थियों को धनराशि मिल चुकी एक अप्रैल से 31 अक्टूबर 2024 तक।
- 3625 को वर्ष 2023 में आर्थिक मदद मिली।
- 3125 बीमारों को 2022 में उपचार के लिए धनराशि दी गई।
- 2145 लोगों को मदद मिली 2021 में।
- 943 की संख्या थी वर्ष 2020 तक।
- 447 लोगों को मदद मिली थी वर्ष 2019 में।
- 656 बीमार लोगों को आर्थिक मदद दी गई 2018 में।
- 22 लोगों को मदद मिली 2017 में, तब आफलाइन भी आवेदन जाते थे।
जनप्रतिनिधियों का सराहनीय योगदान
मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष में मदद दिलाने में शहर के जनप्रतिनिधियों का योगदान सराहनीय है। सभी बड़ी संख्या में लोगों को मदद दिला रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, विधायक नीलिमा कटियार, अमिताभ बाजपेई, मो. हसन रूमी के आनलाइन आवेदन पहुंच रहे हैं। इसी तरह विधायक महेश त्रिवेदी, अभिजीत सिंह सांगा, सुरेंद्र मैथानी, राहुल बच्चा सोनकर व सरोज कुरील, एमएलसी अरुण पाठक, सलिल विश्नोई, मानवेंद्र सिंह भी मदद में पीछे नहीं हैं। सांसद रमेश अवस्थी भी आर्थिक मदद दिला रहे हैं।
ये है आवेदन प्रक्रिया
विधायक, एमएलसी, सांसद कहीं भी अपनी चिट्ठी भेज पीड़ित को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मदद दिला सकते हैं। बशर्ते, आवेदक के संबंधित जिले में ही आवेदन लिया जाएगा, जहां से उसका आधार कार्ड यानी पते का प्रमाण पत्र होगा। मदद लेने के लिए कोई पीड़ित सीधे जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दे सकता है। जांच के बाद पात्र मिलने पर धनराशि मिलती है।
पुराने मामलों में हो रही जांच
तीन साल पहले तक आफलाइन ही उपचार के बिल बाउचर भेजे जाते थे। इनकी जांच भी कराई जा रही है। इससे विवेकाधीन कोष में गड़बड़ी करने वाले पकड़े जाएंगे।