उन्होंने पूछताछ की तो ठीकेदार ने बताया कि पर्यटन विभाग काम करा रहा है। इस पर उन्होंने पर्यटन अधिकारी से मोबाइल फोन पर बात कर काम रोकवाने को कहा और इसकी सूचना बिहार राजस्व परिषद को भी दी। टीम महराजगंज में भी बेतिया राज की जमीन का सत्यापन करेगी। टीम का कहना है कि जहां संदेह हो रहा है वहां संबंधित भूखंड की पैमाइश कराई जा रही है।
सात से आठ एकड़ जमीन पर हुआ है निजी निर्माण, मची है खलबली
करीब एक माह पूर्व बेतिया राज की संपत्ति का जायजा लेने गोरखपुर आए बिहार राजस्व परिषद के अध्यक्ष केके पाठक ने जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश की अध्यक्षता में यहां के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उन्हें बताया गया था कि शहर के बेतियाहाता में 50.921 एकड़ से अधिक भूमि बेतिया एस्टेट की हैं।
इनमें मंडलायुक्त आवास परिसर समेत आस-पास स्थित अधिकारियों के आवास, आवास विकास कालोनी, स्कूल, सड़क और पानी की टंकी के अलावा करीब सात- आठ एकड़ जमीन पर नीजी मकान बन चुके हैं। जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश ने परिषद के अध्यक्ष के सामने प्रस्ताव रखा था कि निजी निर्माण करा चुके लोगों को नोटिस देकर वर्तमान सर्किल रेट से दो गुणा कीमत जमा कराकर जमीन उन्हें दे दी जाए। जो राजी नहीं होंगे, उनके खिलाफ सिविल में केस दाखिल कर आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
परिषद के अध्यक्ष ने इसपर सहमति जताई थी और साथ ही आश्वस्त भी किया था कि वे इस संबंध में जल्द ही बिहार सरकार से जरूरी कार्रवाई कर शासनादेश जारी कराएंगे। लेकिन, 26 नवंबर को बिहार विधान मंडल में पारित हुए विधेयक के बाद अब इस निर्णय की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।
गोरखपुर में बेतिया एस्टेट की संपत्तियां
- कमिश्नर आवास परिसर- 4.799
- सड़क- 4.649
- आफिस आवास, कालोनी व पेड़ पौधे- 3.501
- मकान- 2.237
- आवास विकास कालोनी- 1.433
- तुलसीदास इंटर कालेज- 1.526
- पक्का मकान- 1.259
- पानी की टंकी व स्कूल- 0.060
- कब्रिस्तान- 0.080
- नाली- 0.016
- खंदक- 0.101
- रास्ता- 0.380