करहल विधानसभा सीट पर वर्ष 1993 के बाद से 2022 तक सपा केवल एक चुनाव हारी है। वर्ष 2022 में सपा मुखिया अखिलेश यादव इसी सीट से विधायक बने थे और उन्होंने 67 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
यादव मतदाताओं की है सबसे अधिक संख्या
विधानसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा करीब सवा लाख है। इसके बाद दूसरे नंबर शाक्य मतदाता आते हैं। इनकी संख्या 40 हजार के आसपास मानी जाती है। क्षत्रिय और जाटव मतदाता 30-30 हजार हैं। पाल-धनगर मतदाताओं की संख्या 30 से 35 हजार है। ब्राह्मण और मुसलमान मतदाता 15-15 हजार बताए जाते हैं। कठेरिया समाज और लोधी समाज के मतदाता 18-18 हजार के आसपास है। चुनावों में सपा को यादवों के अधिकतम समर्थन और अन्य जातियों के साथ से जीत मिलती रही है। सपा ने इस बार भी इसी रणनीति पर काम किया।
अनुजेश को बनाया था प्रत्याशी
भाजपा ने इस बार बड़ा दांव खेलते हुए सैफई परिवार के रिश्तेदार अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया। अनुजेश यादव भारोल परिवार के सदस्य हैं। उनकी मां उर्मिला घिरोर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रही हैं। यह क्षेत्र वर्तमान में करहल विधानसभा सीट में शामिल है। चुनाव में अनुजेश यादव और उनके परिवार ने यादव बहुल गांवों में प्रचार किया था। इसका थोड़ा असर भी नजर आया।
यादव बहुल बूथों पर मिले मत
करहल विधानसभा के यादव बाहुल्य बूथ गढ़िया अहलादपुर बूथ पर भाजपा को 52 मत मिले। कंझरा बूथ पर 201 मत लेकर भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव ने दमदार उपस्थित दर्ज कराई। घिरोर ब्लॉक के गांव हिम्मतपुर उजियारी में भाजपा को 226, सपा को 289 मत मिले। नगला केहरी बूथ पर भाजपा ने सपा को कड़ी टक्कर देकर 227 मत प्राप्त किए। यादव बाहुल्य गांव शाहजहांपुर के तीन बूथों में भाजपा और सपा में जबरदस्त टक्कर हुई। घिरोर ब्लॉक के गांव घुराई में भाजपा को पहली बार तीन अंकों में मत मिले। गांव नगला रढ़ा में सपा को 233, भाजपा को 226 मत मिले।
कुछ बूथों पर सपा और भाजपा में बराबर रहे मत
यादव बाहुल्य गांव भगवंतपुर में भाजपा को 329 मत मिले। घिरोर क्षेत्र के कई बूथों पर भाजपा और सपा में लगभग बराबर का बंटवारा हुआ। इनके अलावा ज्यादातर यादव बहुल गांवों में सपा को अधिकतम समर्थन हासिल हुआ। गांव रठेरा के तीन बूथों पर भाजपा प्रत्याशी को अन्य यादव बूथ के मुकाबले कम मत मिले। इस हिसाब से यादव मतों में सेंधमारी तो हुई, परंतु यह बंटवारा इतना नहीं हुआ कि सपा को पीछे धकेल पाता। भाजपा अब उपचुनाव के परिणामों की समीक्षा कर वर्ष 2027 के चुनावों के लिए रणनीति तैयार करेगी।