आगरा। सिकंदरा क्षेत्र में रहने वाले जिम ट्रेनर ने 13 वर्ष पूर्व आगरा की एक जूता कंपनी में काम करने वाली नोएडा की महिला को अपने जाल में फंसाकर उसकी अश्लील तस्वीरें खींच ली। प्रेम जाल में फंसा कर पहले रुपये उधार लिए,फिर जूते का व्यापार शुरू कर साझीदार बन गया।
महिला को ब्लैकमेल कर उसका व्यापार हथिया लिया। कंपनी के हस्ताक्षर के अधिकार लेकर लाखाें की रकम हड़प ली। पीड़िता ने परेशान होकर मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
नोएडा की रहने वाली महिला ने पुलिस को बताया कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी। एक कंपनी में काम करने के दौरान 2011 में तलवरकर जिम के तत्कालीन ट्रेनर सिकंदरा के कावेरी कौस्तुभ के रहने वाले हर्षित ओबराय से जिम में मुलाकात हुई थी। आरोपित ने खुद को तलाकशुदा बता कर दोस्ती की और फिर बहाने से फ्लैट में कुछ दिन कमरे में रहने की अनुमति मांग ली।

महिला के खींचे अश्लील फोटो और वीडियो

आरोपित ने उसके अश्लील फोटो और वीडियो बना लिए। आलू का व्यवसाय करने के नाम पर रुपये उधार लिए और बाद में नुकसान होने की बोल रकम हड़प ली। इसके बाद उनके चमड़ा उद्योग से जुड़ा होने की कहकर चमड़े का व्यापार करने को कहा। खुद व्यापार में 10 प्रतिशत का साझीदार बन गया। बेटे को मारने और अश्लील तस्वीरें प्रसारित करने की धमकी देकर नकदी और गहने हड़प लिए।

व्यापार को कब्जे में ले लिया। लोगों के दबाव बनाने पर रकम लौटाने का वादा किया पर नहीं लौटाई।इंस्पेक्टर सिकंदरा नीरज शर्मा ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच की जा रही है।

जेल में बंद खाताधारक के खाते से निकाले नौ लाख, मुकदमा के आदेश

बरौली अहीर के रहने वाले खाता धारक जेल में बंद था और उसके खाते से नौ लाख रुपये निकाल लिए गए। बैंक के मैनेजर और गांव के युवक पर आरोप लगाकर पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की। कार्रवाई न होने पर न्यायालय में प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया। सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने ताजगंज पुलिस को मुकदमा दर्ज कर जांच के निर्देश दिए हैं। वादी मुकदमा बरौली अहीर के प्रदीप यादव का केनरा बैंक की बरौली अहीर शाखा में बचत खाता है।

खाते से निकाले रुपये

आरोप है कि बैंक के मैनेजर पुष्पेंद्र नागर से साठगांठ कर गांव के ही सुरजीत ने 21 अक्टूबर 2020 को दो लाख, 23 अक्टूबर को पांच लाख और दो नवंबर 2020 को दो लाख रुपये उनके खाते से निकाल लिए। सुरजीत बैंक में पानी पिलाता था। उसने नकदी निकासी पर्ची पर फर्जी हस्ताक्षर कर रकम निकाली थी। इस अवधि में वो जेल में बंद था । जेल से रिहा होने पर जानकारी हुई। पुलिस से शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।

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