मथुरा। पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर दिव्य और भव्य मंदिर को लेकर कहा, मेरी आस्था और मेरा विश्वास न्यायालय में नहीं है। मैं यह कहूंगी कि मेरा विश्वास और आस्था मंदिर निर्माण में है। यह मेरी आस्था और विश्वास का विषय है।

मामला भले ही न्यायालय में चल रहा है। लेकिन, मैं न्यायालय के बजाय अपनी आस्था को मानती हूं और मैंने ही संसद में अयोध्या, मथुरा और काशी के मुद्दे का हल एक साथ करने की आवाज उठाई थी।

तीनों जगह पर भव्य मंदिर निर्माण की मांग

मां कात्यायनी मंदिर में बुधवार को दर्शन करने पहुंचीं साध्वी उमा भारती ने कहा भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान का मामला न्यायालय में है। मैंने 1992 में संसद में यह बात उठाई थी कि मथुरा, काशी और अयोध्या का एक साथ फैसला कर दीजिए। इन तीनों जगहों पर भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए।

यहां किसी अन्य धर्म का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। साध्वी उमा भारती ने कहा ठाकुर बांकेबिहारी जी के दर्शन का मौका मिला। लेकिन, मां कात्यायनी के दर्शन के बिना वृंदावन की यात्रा अधूरी रहती है।

एक साथ सुनवाई का आदेश वापस लेने के प्रार्थना पत्र पर निर्णय सुरक्षित

मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद के स्वामित्व विवाद में दाखिल 15 सिविल वादों की एक साथ सुनवाई करने संबंधी आदेश वापस लेने के लिए दायर अर्जी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश सुरक्षित कर लिया है।

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने बुधवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। रिकाल अर्जी शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने दायर की है। मस्जिद पक्ष का तर्क है कि सभी 15 वादों के अनुतोष भिन्न-भिन्न व असमान हैं। इसलिए इन्हें एक साथ सुनना सही नहीं होगा। सबमें वाद बिंदु के अनुसार अलग-अलग सुनवाई की जाए।

मंदिर पक्ष ने इस दलील का विरोध यह कहते हुए किया कि अदालत को एक ही मुद्दे को लेकर दाखिल वादों की एक साथ सुनवाई का अधिकार है। दो या अधिक वादों को एकीकृत कर सुनवाई करने का विवेकाधिकार है। सभी वाद श्रीकृष्णजन्मभूमि स्थल से अवैध कब्जा हटाकर कटरा केशव देव को कब्जा सौंपने से संबंधित हैं। मूल मांग एक ही है।

कोर्ट ने श्रीकृष्णजन्म भूमि व शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में दाखिल 15 सिविल वादों को इसी साल 11 जनवरी, 2024 को एक साथ सुनने का आदेश दिया था। इसके बाद वादों की पोषणीयता पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मस्जिद पक्ष की आपत्ति खारिज कर दी थी तथा वाद बिंदु तय करने के लिए पक्ष रखने का आदेश दिया। वाद बिंदु तय होने से पूर्व रिकाल अर्जी दायर कर दी गई।

मस्जिद पक्ष से तसनीम अहमदी व महमूद प्राचा ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए दलील रखी। कहा कि अलग-अलग मांग के साथ दाखिल वादों की एक साथ सुनवाई नहीं हो सकती। सभी वादों को संयुक्त करने का आदेश पोषणीय नहीं है, क्योंकि सभी पक्षकारों की सहमति नहीं है। मंदिर पक्ष के लिए अधिवक्ता हरि शंकर जैन, महेंद्र प्रताप सिंह, रीना एन सिंह व सौरभ तिवारी आदि ने आनलाइन पक्ष रखा।

अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है रिकाल एप्लीकेशन मामला उलझाने के लिए दाखिल किया गया है। उन्होंने तत्काल वाद बिंदु तय कर सुनवाई करने की प्रार्थना की। आशुतोष पांडेय ने कहा कि मुस्लिम पक्ष चाहता है कि वाद बिंदु न तय हो पाएं और केस की सुनवाई टलती रहे। इसीलिए तरह-तरह के आवेदन दाखिल किए जा रहे हैं।

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