गाजियाबाद। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन कर इंडिया शब्द हटाकर देश का नाम भारत रखने की मांग को लेकर नमह ने एक बार फिर से अपनी आवाज बुलंद की है। गाजियाबाद में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में नमह ने कहा कि देश का नाम इंडिया से भारत करवाने के लिए सभी 140 करोड़ देशवासियों को उनकी लड़ाई में शामिल होना होगा।
नमह ने कहा कि हम सभी को शपथ लेनी है कि देश का नाम इंडिया से भारत किए जाने तक हम शांत नहीं बैठेंगे और लगातार संघर्ष करते रहेंगे। जब तक देश का नाम पूरी तरह से भारत नहीं किया जाता, तब तक देशवासियों का गौरव नहीं लौट सकेगा। उन्होंने कहा कि इंडिया नाम अंग्रेजों का दिया हुआ है, इस नाम से अभी भी अंग्रेजों की अधीनता का आभास होता है, यह एक कलंक है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नमह के साथ सुप्रीम कोर्ट के वकील आशुतोष ठाकुर भी मौजूद थे। नमह ने कहा कि हमने पहले ही याचिका के जरिये देश को मूल और प्रामाणिक नाम भारत द्वारा मान्यता देने को लेकर याचिका लगा चुके हैं जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि संबंधित मंत्रालय याचिका को संज्ञान में लें !
नमह अभी भी आरटीआई के माध्यम से याचिका के माध्यम से प्रयासरत हैं मंत्रालय क्यों मौन हैं सुप्रीम कोर्ट का निर्देश अम्ल में क्यों कब लाया गया या नहीं ये सरकार को जवाब देना होगा !
नमह ने कहा, ‘इंडिया का नाम एक होना चाहिए। कई नाम हैं जैसे रिपब्लिक ऑफ इंडिया, भारत, इंडिया, भारत गणराज्य वगैरह। इतने नाम नहीं होने चाहिए। अलग कागज पर अलग नाम है। आधार कार्ड पर ‘भारत सरकार’ लिखा है, ड्राइविंग लाइसेंस पर ‘यूनियन ऑफ इंडिया, पासपोर्ट्स पर ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’, इससे कन्फ्यूजन होता है। नमह ने कहा कि हर एक को देश का नाम पता होना चाहिए। नाम एक ही होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी कहते हैं, एक आवाज, एक देश। उन्होंने कहा, अनुच्छेद 1 में संशोधन यह सुनिश्चित करेगा कि इस देश के नागरिक अपने औपनिवेशिक अतीत को अंग्रेजी नाम को हटाने” के रूप में प्राप्त करेंगे, जो एक राष्ट्रीय भावना पैदा करेगा।
नमह ने कहा कि ‘इंडिया’ नाम को हटाने में भारत संघ की ओर से विफलता हुई है जो गुलामी का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इससे जनता को चोट लगी है, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी शासन से कठिनाई से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्वतंत्रता के उत्तराधिकारियों के रूप में पहचान और लोकाचार की हानि हुई है।