चंडीगढ़।मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि राज्य में बेहतर रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कारपोरेशन द्वारा तैयार की गई सर्वे रिपोर्ट पर रेल मंत्रालय पांच रेल विकास परियोजनाओं पर जल्द ही फाईनल सर्वे रिपोर्ट तैयार करेगा।

मुख्य सचिव आज हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कारपोरेशन बोर्ड की 25वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, ईआईसी बीएंडआर राजीव यादव, एमडी नरेन्द्र, डायरेक्टर पुनीत कटपालिया, जीएम मंदीप सिंह मौजूद रहे। महेन्द्रगढ की उपायुक्त मोनिका गुप्ता, एम डी राजेश अग्रवाल ने ऑनलाईन भाग लिया।

मुख्य सचिव ने कहा कि इंदिरा गांधी एयरपोर्ट दिल्ली से महाराजा अग्रसेन एयरपोर्ट हिसार के बीच रेल कनेक्टिविटी, गढ़ी हरसरू-फरुखनगर डबल लाइन और नई डबल लाइन कनेक्टिविटी फरूखनगर से झज्जर तथा झज्जर-चरखी दादरी-लोहारू लाइन सहित तीन रेल परियोजनाओं की फाइनल लोकेशन सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके अलावा करनाल-यमुनानगर नई रेलवे लाईन एवं कैथल में बनाए जाने वाले रेलवे एलिवेटेड का भी संयुक्त दौरा कर सर्वे रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर परियोजना को पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान में शामिल किया गया है और इस परियोजना से पलवल, नूहं, गुरुग्राम, झज्जर एवं सोनीपत जिले लाभान्वित होंगे। इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य रेलवे अधिनियम के तहत किया जा रहा है और इन पंाच जिलों में 1287 करोड़ रुपए के अवार्ड घोषित किए जा चुके है। उन्होंने कहा कि जून माह तक भूमिधारकों को 805 करोड़ रुपए की राशि का वितरण किया गया है। हरियाणा ओर्बिटल रेल कोरिडोर के मानेसर से पातली खण्ड के निर्माण कार्य को चालू वित वर्ष में पूर्ण करने का प्रयास है।

मुख्य सचिव ने कहा कि हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर परियोजना में 4.7 किलोमीटर टनल, डबल कंटेनर के आवागमन, ऊंची इमारतों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सुरंग बनाने व न्यू आस्ट्रियन टनलिंग मेथड आदि के अत्याधुनिक तकनीक से कार्य किये जा रहे है। इसके अलावा कुरुक्षेत्र में 5 मानवयुक्त क्रॉसिंग खत्म करने के लिए कुरुक्षेत्र, नरवाना, रेलवे लाइन पर 5.8 किलोमीटर लम्बा एलिवेटेड ट्रैक बनाने का 68 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है। यह सभी रेल परियोजनाएं वित्तीय संसाधनों को सुरक्षित करने के लिए मील का पत्थर साबित होंगी।

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