पंद्रह साल की कैद से आज़ाद हुआ चमोली का बेटा राजेश — पंजाब की डेरी से बंधुआ मजदूरी से छुड़ाया गया, वीडियो ने दिलों को झकझोरा

अनुज त्यागी

चमोली/तरनतारन
(राजसत्ता पोस्ट)
कभी पहाड़ों की गोद में खेलने वाला राजेश आज एक ऐसी कहानी बन चुका है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। उत्तराखंड के चमोली जिले के नारायणबगड़ कौब गांव के निवासी राजेश की नियति ने ऐसा क्रूर मज़ाक किया कि वह पिछले 15 वर्षों से पंजाब की एक डेरी में बंधुआ मजदूर बनकर कैद रहा।

15 साल पहले रोजगार की तलाश में पंजाब गया था, लेकिन वहां उसे मुस्लिम तबेले में बंधुआ मजदूर बनाकर रखा गया

सोशल मीडिया बना राजेश की आवाज़

जब एक सामाजिक कार्यकर्ता की नजर उस पर पड़ी, तो वीडियो बनाकर पूरा मामला उजागर किया गया, NGO चलने वाले जगजीत सिंह द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक मार्मिक वीडियो ने सबकी आंखें नम कर दीं। कांपती आवाज़ में राजेश खुद को नारायणबगड़ का बताते हुए मानसिक उत्पीड़न, गाली-गलौज और मारपीट की आपबीती बयान करता है। वीडियो में राजेश भावुक होकर कहता है कि वह वर्षों से कैद है और घर लौटना चाहता है।

परिवार की आंखों से बहते रहे आँसू

राजेश के गुम होने के बाद परिजन सालों तक उसे ढूंढते रहे, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। वीडियो वायरल होने के बाद जैसे किस्मत ने करवट ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले का संज्ञान लेते हुए पंजाब प्रशासन से तत्काल संपर्क किया। प्रशासन की तत्परता से राजेश को पंजाब के तरनतारन जिले की डेरी से मुक्त करवा लिया गया।

बेटा मिला तो फूट-फूटकर रोई मां और बहन

राजेश की मां और बहन जैसे ही बेटे की खबर सुनकर पंजाब पहुंचीं, तो वर्षों बाद बेटे को जिंदा देखकर खुद को रोक न सकीं। मां ने राजेश को गले लगाया और देर तक रोती रही, बहन की आंखों में भी सैलाब था। यह दृश्य हर देखने वाले को भावुक कर गया।

राजेश की वापसी — एक सवाल, एक उम्मीद

राजेश की कहानी आज बंधुआ मजदूरी, मानवाधिकार और इंसानियत के उन सवालों को सामने ला रही है जिनसे हम अक्सर मुंह मोड़ लेते हैं।
उसकी वापसी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, उस पूरे समाज की जीत है जो अब जाग रहा है।

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