मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने दिवंगत मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव को मैदान में उतार दिया है। फिलहाल, सीट पर भारतीय जनता पार्टी के दांव का इंतजार है, लेकिन इसी बीच अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि राज्य में सत्तारूढ़ दल यादव परिवार की ही एक और बहू अपर्णा यादव को उम्मीदवार घोषित कर सकता है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
कहां से शुरू हुईं अटकलें
बात बुधवार की है। एक ओर जहां उत्तर प्रदेश में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की उम्मीदवारी घोषित होते ही चर्चाएं बढ़ गई थीं। वहीं, अपर्णा यादव और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी की मुलाकात ने नई सियासी अटकलों को हवा दे दी है। एक तस्वीर सामने आई, जिसमें भाजपा के दोनों नेता नजर आ रहे हैं। अब कहा जाने लगा है कि भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के निधन से खाली हुई मैनपुरी सीट पर अपर्णा पर भरोसा जता सकती है। अपर्णा साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा में आ गई थीं। हालांकि, पार्टी में उनका चुनावी पदार्पण बाकी है।
डिंपल की उम्मीदवारी ने भी किया हैरान
इससे पहले संभावनाएं जताई जा रही थी कि पार्टी अखिलेश के कजिन तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी घोषित कर सकती है। तेज प्रताप पहले भी मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा धर्मेंद्र यादव का नाम भी चर्चाओं में था। सपा के इस दांव को अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव का मुकाबला करने के लिहाज से भी देखा जा रहा है।
डिंपल ही क्यों?
इंडिया टुडे के अनुसार, एक सपा पदाधिकारी ने कहा था कि अखिलेश और मैनपुरी में पार्टी के यादव और मुस्लिम समुदाय के नेताओं के बीच बातचीत के बाद डिंपल के नाम पर मुहर लगी है। एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा, ‘मैनपुरी में जातीय समीकरण को देखते हुए, जहां शाक्य और ठाकुर वोट अहम हैं, पार्टी ने हाल ही में आलोक शाक्य को मैनपुरी का नया जिलाध्यक्ष बनाया है। साथ ही डिंपल भी शादी से पहले जाति से ठाकुर रहीं। यह सब रणनीति का हिस्सा है।’
सपा का गढ़ रहा है मैनपुरी
यूपी की मैनपुरी सीट को सपा का गढ़ माना जाता है। मुलायम सिंह साल 1996 में यहां से पहली बार चुने गए। इसके बाद उन्होंने साल 2004, 2009 और 2019 में यहां से जीत दर्ज की। साल 2014 में हुए उपचुनाव में तेज प्रताप जीते थे। इधर, डिंपल कन्नौज से दो बार लोकसभा सांसद रह चुकी हैं।
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