अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद के राष्ट्रीय संयोजक रामावतार पलसानिया द्वारा समाज का भाईचारा मजबूत करने को लेकर जाट संवाद यात्रा निकाली जा रही है।इसी दौरान हमें अंतरराष्ट्रीय जाट संसद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामावतार पलसानिया से वार्ता करने का अवसर मिला।
‘अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद’ के प्रतिनिधियों ने वर्ष 2022 में अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद के राष्ट्रीय संयोजक रामावतार पलसानिया के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और महाराजा सूरजमल सहित समुदाय की प्रमुख हस्तियों की जीवन कहानियों को पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने के लिए अनुरोध किया था। इस प्रतिनिधिमंडल में रामअवतार पलसानिया के आलावा पीएस कलवानिया और राम सिंह कुल्हारी भी शामिल थे।
अंतरराष्ट्रीय जाट संसद के राष्ट्रीय संयोजक रामावतार पलसानिया ने हमें इस वार्ता में बताया कि उनके ‘अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद’ सत्रों में दुनिया भर के देशों के जाट समाज के लोगों ने शिरकत की थी। जाट संसद का उद्देश्य जाट समाज को जागरूक करने के साथ ही जाटों से जुड़े मुख्य मुद्दों पर चर्चा करना रहा है। तथा इस जाट संसद का मुख्य उद्देश्य शिक्षा, कला, संस्कृति, साहित्य, रोजगार सृजन व गौरवशाली जाट इतिहास को जन–जन तक पहुंचाना भी है।
उन्होंने कहा कि जाट समाज को सामाजिक चितन के साथ-साथ शिक्षा के ऊपर भी जोर देने की जरूरत है। हमारी आने वाली पीढि़यों को के लिए अच्छी व्यवस्था मिले, इसके लिए समाज को चितन मनन करना चाहिए। हमारी व् उनकी बातचीत में इस बात पर चिंता व्यक्त की गयी है कि रोजाना के चलने वाले किसान आंदोलनों से उत्तरी भारत के राज्यों में व्यापार और उद्योग को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है।
भारत एक युवा देश है, जिसमें लगभग 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। और 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के युवा जनसंख्या का 27.5 प्रतिशत हैं।स्किल्स की कमी के कारण साधारण डिग्री कोर्स करने वाले युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में नौकरी हासिल करने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मोदी सरकार ने देश में एक मजबूत तंत्र स्थापित किया है जो युवाओं को कौशल और अपस्किलिंग करने में सक्षम है। हमारे समाज के युवाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ के माध्यम से दी जाने वाली ट्रेनिंग का लाभ उठाना चाहिए, क्योकि छोटी खेती से उनका गुजरा नहीं हो सकता है। आज दुनिया में स्किल की इतनी मांग है कि जो स्किल्ड होगा, वही उन्नति करेगा। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में करीब 69 प्रतिशत कंपनियों को डिजिटल मार्केटर की तलाश है। इन स्किल्स को सीखने के बाद न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी नौकरी पाने के कई रास्ते भी खुल जाते हैं।
इस वार्ता में अंतरराष्ट्रीय जाट संसद के राष्ट्रीय संयोजक रामावतार पलसानिया ने हमें यह भी बताया कि स्वास्थ्य देखभाल, पर्यटन, खुदरा, विनिर्माण, आतिथ्य, कृषि, दूर संचार, विमानन जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण लेकर युवा विदेश में सफल हो रहे हैं। इसमें युवाओं को प्रशिक्षण में अंग्रेजी, संबंधित देश की भाषा और व्यक्तित्व विकास भी होता है। इसी कारण 12वीं से स्नातक पासआउट आम युवा विश्वस्तर का प्रशिक्षण लेकर विदेश में करीब 40 लाख रुपये सालाना तक का पैकेज पा रहे हैं। स्किल इंडिया इंटरनेशनल मिशन के तहत बीते डेढ़ साल में 15 देशों ने भारतीय युवाओं के लिए दरवाजे खोले हैं।
हम दोनों इस बात से चिन्तित थे कि हमारे युवा स्थानीय राजनीति व् स्थानीय आन्दोलन में शामिल होकर अपने करियर से दूर जा रहे है। थानों व् टोल पर आन्दोलन तथा विवाह समारोह में फोटो सेशन से हमारी समाजिकता पूरी हो रही है। इन सबके चलते पढाई का माहौल नहीं बन पा रहा है, इसीलिए इस क्षेत्र से आईएएस या पीसीएस सर्विस में यहाँ के युवा नहीं आ पाते है। यहाँ के संगठन हाईवे पर कट देने के लिए आन्दोलन करते है, लेकिन कभी भी आईटी पार्क व् फ़ूड पार्क जैसी मांग नहीं राखते है, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होते।
इस क्षेत्र के कुछ जनपदों में यदि कोई व्यक्ति किसी उद्योग में नौकरी करता है और उसकी नौकरी के दौरान घर पर हार्ट अटैक से मृत्यु हो जाती है, तो कुछ संगठन तो उसकी डेड बाड़ी को उस उद्योग में ले जाकर रख देते है, जहाँ वह नौकरी करता था और फिर यह कह कर कि इसको यहाँ के जीएम ने धमकाया था, इसलिए हार्ट अटैक से इसकी मृत्यु हुई है,और अब इस कारण से इसके परिवार को 20 से 50 लाख मुआवजा दिया जाये। क्या इससे यहाँ उद्योग रहेगे या इस माहौल में नए उद्योग लगेंगें, हमारी राय में अगर यही स्थिति रही, तो यहाँ चल रहे उद्योग भी पलायन करने को मजबूर होंगे व् नए उद्योग लगने का तो सवाल ही नहीं उठता है। इसलिए हमारा उनसे निवेदन है कि इन संगठनों को भी इस स्थित पर सोचना चाहिए और हम युवाओं से भी कहना चाहते है कि उन्हें अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए।