तर्क वितर्क की समस्याओं के समाधान में गणित होता है सहायक: वरिष्ठ शिक्षक अरविंद कुमार

जैविक खेती वर्तमान समय की आवश्यकता, कृषि अवशेष से करें कम्पोस्ट खाद तैयार: मंजू देवी

मेजर अरविंद कुमार
भोपा (मुजफ्फरनगर) जनता इंटर कॉलेज भोपा में ग्रीष्मकालीन समर कैंप के छठे दिन प्रातः कालीन सत्र में “प्रतिस्पर्धी गणित ट्रिक्स और तर्क समस्या समाधान” के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए वरिष्ठ गणित शिक्षक व कार्यक्रम प्रभारी अरविंद कुमार ने कहा कि तर्क वितर्क समस्याओं के समाधान में गणित सहायक सिद्ध होता है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों के द्वारा गणितीय रेखाओं की सहायता से दिन,रात, समय, सूर्य की गति, चंद्रमा की गति, पृथ्वी की गति, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण,सौर मंडल, दूरी का अनुमान लगाना आदि के बारे में सटीक जानकारियां हासिल की जाती थी। धीरे-धीरे गणित का विकास हुआ और आधुनिक खोजों के द्वारा गणितीय अनुप्रयोगों व गणणाओं को प्रयोग में लाना शुरू कर दिया गया ।वर्तमान में सूक्ष्मतम इकाई की सटीक जानकारी भी गणित के द्वारा हासिल किया जाना संभव हो सका है। इसके साथ ही कार्यक्रम सहप्रभारी अरूण कुमार व सहप्रभारी अनुज कुमार ने छात्रों को गणित ट्रिक्स के बारे में बताया।द्वितीय सत्र में”जैविक खेती एवं कृषि अवशेष से कंपोस्ट खाद बनाना”विषय पर जानकारी देते हुए कार्यक्रम प्रभारी मंजू देवी ने छात्रों को जानकारी दी कि जैविक खेती वर्तमान समय की आवश्यकता है भूमि में पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा को कायम रखने और पोषक तत्व को संरक्षित रखने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देना आवश्यक है कीटनाशक दवाओं से युक्त खेती का दीर्घकाल में मानव शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और शरीर को पोषण भी पर्याप्त मात्रा में हासिल नहीं हो पाता। कार्यक्रम सहप्रभारी शिक्षिका रीमा व सहप्रभारी पंकज कुमार ने कृषि अवशेष से कंपोस्ट खाद कैसे तैयार की जाती है इसके बारे में बताया, उन्होंने कंपोस्ट खाद बनाने की किचन गार्डन गड्ढा विधि, गमला विधि के बारे में छात्रों को जानकारी दी कि गृह वाटिका में किसी कोने पर या सुविधाजनक स्थान पर लगभग 2 फीट लम्बाई , चौड़ाई, गहराई का गड्ढा खोदकर उसमें घरों में प्रतिदिन प्रयुक्त होने वाले साग सब्जियों, फलों आदि के छिलकों को गड्ढे में डालते रहने तथा समय-समय पर उसके ऊपर हल्की मिट्टी की परत चढ़ाते रहने से वह कुछ समय के पश्चात कंपोस्ट खाद में परिवर्तित हो जाती है जिसका प्रयोग हम घरों में की जाने वाली बागवानी, छोटी छोटी क्यारियों या गमलों में कर सकते हैं। इससे हम साग सब्जी व फलों आदि के अवशेषों को इधर-उधर डालने के बजाय उनका हम कंपोस्ट खाद तैयार करने में प्रयोग कर सकते हैं। कैंप में छात्रों को विभिन्न प्रकार की प्राचीन खेल पद्धतियों जैसे बंदर चाल,स्नैक चाल,कांय पत्ता,ताडम ताड़ी छू छू कर खेलना आदि के बारे में भी बताया गया और छात्रों ने खेल खेल में इन पद्धतियों के बारे में जानकारी भी हासिल कर कर लुत्फ उठाया।इस दौरान वरिष्ठ कार्यालय अधीक्षक विनोद कुमार,अमित कुमार, पुनीत कुमार, श्रवण कुमार, कृष्ण कान्त शर्मा, कुलदीप कुमार, रणधीर सिंह, सतेन्द्र कुमार, जोगेन्द्र कुमार,शिव कुमार आदि उपस्थित रहे।

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