उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित केदारघाटी का भूगोल हेली सेवाओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं। उस पर घाटी का पल-पल बदलता मौसम भी पायलट की परीक्षा लेता है।
बीते 10 जून को बड़ासू हेलीपैड से केदारनाथ के लिए उड़ान भरने वाले हेलीकाप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग के बाद डीजीसीए ने हेली कंपनियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए। इसमें उड़ान का समय तय करने के साथ एक बार में तीन से चार यात्रियों ले जान की ही अनुमति है।
हेलीपैड पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं
उड़ानों की सुरक्षा के लिए सभी हेली कंपनियों के कर्मचारी हेलीपैड पर तैनात होने चाहिएं, ताकि एक-दूसरे व पायलट से मौसम समेत अन्य सूचनाएं साझा कर सकें। लेकिन ऐसा व्यवहार में नजर नहीं आता। हेली में यात्रियों के बैठते समय उसका इंजन व पंखुड़ियां चलती रहती हैं, जबकि नियमानुसार हेली स्टार्ट होने से पहले यात्रियों को बिठाया जाना चाहिए।
हेलीपैड पर पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मी भी तैनात नहीं रहते, जिससे अक्सर यात्री चालू हेलीकाप्टर के पास पहुंच जाते हैं। हेलीपैड के पास पर्याप्त पार्किग व्यवस्था भी नहीं है। इस कारण अक्सर हेली से जाने वाले यात्री अपने वाहन हाईवे पर खड़े कर देते हैं, जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है।
हेली कंपनियों को नियमों का पालन करने के सख्त निर्देश हैं। जांच के बाद पता चलेगा कि नियमों का पालन हुआ था या नहीं।
-राहुल चौबे, नोडल अधिकारी, हेली सेवा