धारचूला (पिथौरागढ़)। चीन सीमा को जोड़ने वाला तवाघाट-लिपुलेख अब बूंदी से गर्ब्यांग तक टनल से गुजरेगा। उच्च हिमालयी भू-भाग में सुरंग बनने से मानसून काल और शीतकाल में बेरोकटोक यातायात जारी रहेगा।
इससे सेना व अर्धसैन्य बलों के लिहाज से सामरिक रूप से मजबूती तो मिलेगी ही, पर्यटक गुंजी तक सहजता के साथ पहुंचेंगे तो व्यास घाटी में शीतकालीन पर्यटन कारोबार के द्वार भी खुलेंगे। सुरंग के लिए दिल्ली की एल्टीनाथ कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बूंदी से गर्ब्यांग तक प्रारंभिक सर्वे कर लिया है।
तवाघाट-लिपुलेख हाईवे बूंदी के पास उच्च हिमालयी भू-भाग से शुरू हो जाता है। बूंदी से छियालेख तक पहुंचने को सड़क पर कई मोड़ हैं। छियालेख से गर्ब्यांग के बीच दलदल वाला क्षेत्र है। यह मानसून काल में प्रभावित करता है।
शीतकाल में हिमपात से हाईवे बंद होता रहता है। अब यह सड़क दो-तीन वर्षों में बूंदी से गर्ब्यांग तक सुरंग से होकर गुजरेगी। बीआरओ के अनुसार खोसा से गर्ब्यांग के कौक्स्यों तक सर्वे हो गया है। टनल बनते ही आदि कैलास, कैलास मानसरोवर, ओम पर्वत, कैलास दर्शन सुगम होंगे तो भारत-चीन व्यापार की राह आसान होगी।

बूंदी और गर्ब्यांग के ग्रामीणों के साथ होगी बैठक

टनल निर्माण को लेकर बीआरओ और कंपनी की बूंदी और गर्ब्यांग के ग्रामीणों संग बैठक होगी। बूंदी के ग्रामीणों की मांग है कि पूर्व में किए गए सर्वे के अनुसार खोसा से टनल का निर्माण किया जाए।

नए सर्वे में चयनित दूसरे स्थल पर ग्रामीणों ने टनल निर्माण के दौरान बोल्डर और पत्थर गिरकर गांव तक पहुंचने की आशंका है। भाजपा नेता योगेश गर्ब्याल का कहना है कि टनल निर्माण से व्यास घाटी का तेजी से विकास होगा।

बूंदी से गर्ब्यांग तक छह किमी लंबी सुरंग बननी है। एल्टीनाथ कंस्ट्रक्शन कंपनी ने सर्वे किया है। बूंदी में सुरंग वाले स्थान पर वहां के ग्रामीणों ने आपत्त्ति जताई है। जिस पर जनसुनवाई हो चुकी है। ग्रामीणों की अपनी सलाह दी है। इस संबंध में जल्द बैठक प्रस्तावित है।

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