फिलहाल एक समान ही रहेंगी बिजली की दरें
मौजूदा बिजली की दरों से एआरआर में 13 हजार करोड़ रुपये के दिखाए गए घाटे को देखते हुए साढ़े पांच वर्ष बाद 15 से 20 प्रतिशत तक बिजली की दरों में इजाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। सभी उपभोक्ताओं के यहां अभी स्मार्ट मीटर न लग पाने के कारण दिन-रात बिजली की दरें फिलहाल एक समान ही रहेंगी।
बिजली कंपनियों के एआरआर को ध्यान में रखते हुए बिजली की दरों का निर्धारण नियामक आयोग रेगुलेशन के तहत ही करता है। आयोग द्वारा नए रेगुलेशन के मसौदे में भविष्य के निजीकरण का प्रविधान था लेकिन जन सुनवाई के दौरान विद्युत उपभोक्ता परिषद द्वारा इस पर उठाई गई आपत्तियों का नतीजा रहा कि लागू किए गए नए रेगुलेशन में भविष्य के निजीकरण की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में 42 जिलों की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने संबंधी राह फिलहाल कठिन हो गई है।
सरकार ने रात-दिन का टैरिफ लागू करने को कहा था
बता दें कि भारत सरकार ने पहली अप्रैल से देश में रात-दिन का टैरिफ लागू करने को कह रखा है, लेकिन पावर कारपोरेशन प्रबंधन पहले ही आयोग से कह चुका है कि वर्ष 2027-28 तक इसे प्रदेश में लागू करना मुश्किल है। कारण है कि सभी उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने में अभी दो वर्ष लगने की उम्मीद है। बिना स्मार्ट मीटर के रात-दिन के लिए अलग-अलग दरों को व्यवस्था को नहीं लागू किया जा सकता। उद्योगों की तरह घरेलू सहित अन्य उपभोक्ताओं की बिजली के मामले में टीओडी टैरिफ की व्यवस्था लागू होने पर 24 घंटे बिजली की दर एक समान न होकर अलग-अलग समय में कम-ज्यादा होती है। यह मौजूदा दर से 10 से 20 प्रतिशत तक महंगी या सस्ती हो सकती है।
चूंकि आयोग ने नए रेगुलेशन में केंद्र सरकार व केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के सभी नियम-कानून को शामिल किया है इसलिए आरडीएसएस के तहत तय ज्यादा लाइन हानियों का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा। बिजली चोरी के चलते लाइन हानियां के एवज में बिजली की दरें बढ़ने पर बिजली कंपनियों को फायदा होगा। हालांकि, नए रेगुलेशन में बिजली कंपनियां के वास्तविक खर्चे को ही आयोग मंजूरी देगा। उतनी ही बिजली खरीदी जा सकेगी जितनी आयोग ने अनुमन्य की होगी। बिजली कंपनियों के मनमाने खर्चे पर अंकुश लगने से उनकी वित्तीय स्थिति में अब सुधार की उम्मीद भी जताई जा रही है।
‘बिजली दरों में बढ़ोतरी से लेकर निजीकरण का करेंगे विरोध’
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि नियामक आयोग ने नए रेगुलेशन से बिजली महंगी होने का रास्ता खोल दिया है, लेकिन दरों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए उपभोक्ता परिषद संघर्ष करेगा। वर्मा ने कहा नए रेगुलेशन से बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकलने वाले 33,122 करोड़ रुपये के सरप्लस में कमी आएगी, क्योंकि अब बिजली चोरी का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा।
परिषद अध्यक्ष के अनुसार बिजली कंपनियों के मौजूदा वार्षिक राजस्व आवश्यकता के आकलन से उपभोक्ताओं पर बिजली कंपनियों का तीन से चार हजार करोड़ रुपये सरप्लस निकलने का अनुमान है। विदित हो कि पूर्व में आयोग ने बिजली चोरी से कारपोरेशन को होने वाले नुकसान की भरपाई उपभोक्ताओं से करने पर रोक लगा दी थी।
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि रात-दिन के लिए अलग बिजली दर को अभी दो-तीन वर्ष पावर कारपोरेशन ही लागू करने की स्थिति में नहीं है। जब कारपोरेशन इस संबंध में आयोग में प्रस्ताव दाखिल करेगा तब विरोध करेंगे क्योंकि इससे खासतौर से गरीब उपभोक्ताओं को ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में निजीकरण की बात मसौदे में कही गई थी, लेकिन उपभोक्ता परिषद के विरोध के चलते जारी किए गए रेगुलेशन में ऐसा कुछ नहीं है जिससे फिलहाल निजीकरण की राह अब आसान नहीं है। ऐसे में आभार जताने के लिए वर्मा ने गुरुवार को आयोग के अध्यक्ष व सदस्य से मुलाकात भी की।