रामगढ़ताल पर्यटन स्थल बन चुका है। इसकी खूबसूरती बढ़ाने और यहां आए पर्यटकों को नया अहसास दिलाने के लिए दक्षिण भारत से 1000 अमेरिकन सफेद बतख के चूजे लाए गए थे। रामगढ़ताल के वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे मुंबई की फर्म ई-सिटी बाइस्कोप इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने 600 रुपये प्रति चूजा खर्च कर इन्हें यहां मंगवाया था।
इसके बाद से ये कभी पानी में तो कभी वाटर कांप्लेक्स तक स्वछंद विचरण करने लगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय बतख तेज आवाज करते हुए इधर-उधर भागते थे। लोग मौके पर जाकर देखते तो कुत्ते बतखों को दौड़ाते मिलते थे। आसपास स्थित गांव के लोगों ने भी उनका शिकार किया।
बतखों के लिए होनी चाहिए थे उचित व्यवस्था
पशु-पक्षियों के विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकन बतखों को लाने के लिए उनके रहने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए थी। उनके लिए भोजन की व्यवस्था के साथ रात के समय वह बाहर न घूमे, इसके लिए एक सुरक्षित स्थान होना चाहिए था। जो चारों तरफ से बंद हो। विशेषज्ञों ने कहा कि इसी प्रजाति से मिलते-जुलते बतख चिड़ियाघर में भी हैं। उचित व्यवस्था होने से वह सुरक्षित हैं।
रात में कराते हैं बतखों को भोजन
तारामंडल के भगत चौराहा निवासी आदित्य सिंह ने बताया कि बतखों को वह भोजन कराते हैं। रात के समय वह अपने साथियों के साथ वहां पहुंचते हैं और उबला चावल खाने के लिए उन्हें देते हैं। आदित्य ने बताया कि वह एनिमल वेलफेयर नाम से संस्था चलाते है। इसके माध्यम से वह सड़क पर घूमने वाले बेजुबानों की सेवा करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं।
ताल में घूमते हैं सभी, जेट्टी पर रहते हैं
वाटर स्पोर्ट्स का संचालन देख रहे आशीष शाही ने बताया कि यहां के मौसम की वजह से कुछ बतखों की मृत्यु हो गई। बड़े होने पर ये रामगढ़ताल में घूमने लगे। झुंड में होने से गिनती नहीं हो सकी। लेकिन, लगातार संख्या में कमी को देखकर पता लगाने के लिए एक वाचर रखा गया।
शिकायत पर जांच कर होगी कार्रवाई
वन विभाग के उपवनाधिकारी डा. हरेंद्र सिंह ने बताया कि बतखों के शिकार होने की किसी ने शिकायत नहीं की है। वह क्षेत्र जीडीए के अधीन है। अगर कोई शिकायत करता है तो जांच कर साक्ष्य और सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।