शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरुप मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। मां कूष्मांडा की मंद मुस्कान से ही इस संसार ने सांस लेना शुरु किया, यानी इनसे ही सृष्टि का आरंभ हुआ है। जब सृष्टि में चारों तरफ अंधकार फैला हुआ था। तब देवी कूष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से अंधकार का नाश करके सृष्टि में प्रकाश किया था। मां कूष्मांडा का वास ब्रह्माण के मध्य में माना जाता है और वह पूरे ब्रह्मा की रक्षा करती हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना कैसा करें।

मां कूष्मांडा की पूजा से क्या लाभ मिलता है

जो व्यक्ति मां कूष्मांडा की सच्चे दिल से पूजा अर्चना करता है उनके सभी रोग दोष नष्ट हो जाते हैं। साथ ही मां कूष्मांडा सकी पूजा से व्यक्ति को यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन से सारा अंधकार दूर होता है। यदि विद्यार्थी मां कूष्मांडा की पूजा करते हैं तो उन्हे बुद्धि विवेक में वृद्धि होती है। साथ ही व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती है।

मां कूष्मांडा का स्वरुप

मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी कहा जाता है। उनकी आठ भुजाएं हैं। मां कूष्मांडा के हाथों में धनुष, बाण, कमल पुष्प, चक्र, गदा, कमंडल, जप माला और अमृकपूर्ण कलश कहता है। मां कुष्मांडा सिंह की सवारी करती है। मां कूष्मांडा की पूजा में हरे रंग के प्रयोग सबसे ज्यादा करना चाहिए। मां कूष्मांडा को हरा रंग और नीला रंग अति प्रिय है।

मां कुष्मांडा की पूजा विधि

  • * सबसे पहले सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लें और हरे रंग के वस्त्र धारण करें। इसके अलावा आप नीले रंग के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं।
  • * सबसे पहले रोज की तरह कलश की पूजा करें। कलश का तिलक करें।
  • * मां कूष्मांडा का पंचामृत से स्नान कराके उन्हेंं हरे रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  • * इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का जप करें। ध्यान के बाद उन्हें लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सुखे मेवे आदि अर्पित करें।
  • * इसके बाद मां कूष्मांडा की आरती करें और फिर अंत में मां को भोग लगाएं।मां कूष्मांडा का ध्यान मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
जबकि देवी की पूजा में आप उन्हें जो भी चीजें अर्पित करें उन्हें, ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥ मंत्र से अर्पित करें।

मां कूष्मांडा का भोग

देवी कूष्मांडा को पेठा जिसे कुम्हरा भी कहतेहैं अधिक प्रिय है। इसके अलावा मां कूष्मांडा को दही और हलवे का भोग भी लगा सकते हैं।

कूष्मांडा माता की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुंचती हो मां अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

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