डर
हमको किसी से डर नहीं, चुपके चुपके रह धीरे धीरे बोलूँ ! सुनना है जिन्हें सुन ले यहाँ कोई बात की गम नहीं! आये हैं मिट्टी से निर्मित बदन में…
हमको किसी से डर नहीं, चुपके चुपके रह धीरे धीरे बोलूँ ! सुनना है जिन्हें सुन ले यहाँ कोई बात की गम नहीं! आये हैं मिट्टी से निर्मित बदन में…
एक बच्चे की तरह.. कुछ नया खोजना चाहता हूं तारों को छुने की कोशिश तो कभी चांद को देख ललचाता हूं.. आंखे मेरी शरारत और खुशी.. दोनों में ही टिमटिमाती…
माता-पिता की ज़मीन जायदाद का हिस्सा मिलने पर खुश होने वाली लड़कियाँ, माता-पिता का खर्च उठाने ,उनकी सेवा करने,उन्हें अपने घर रखने से कतराती क्यों है ?अधिकार चाहिए तो फ़र्ज़…
यादें होती हैं, धरोहर! जैसे -मां सम्हाल कर रखती है, हमारे बचपन के कपड़े और खिलौने। जैसे -सूरज आश देकर जाता है कल सुबह आने की, जैसे -शशि सोलह कलाओं…
अब तो ना आंसू निकलते न मन पिघलते बस रह गया भावों और यादों का एक समुंदर है मेरे पास उनकी दी हुई सीख वह पाठ, जिसने जिंदगी को जीना…
मेरी आंखें भरी है, हर उस चीज के प्रति, जो सिर्फ देती है दिखाई, जिनमें नहीं होती भावनाओं का एहसासों की गहराई ! मेरा मन भरा है, हर उस चीज…
समय का पहिया जब चलता है तो घूम के एक बार सब के पास आता है आशा और अविनाश की नई शादी हुई थी आशा की लव विथ ऑरेंज शादी…
मैं एक धारा बहती हूं धारा के संग कहीं तो सागर मिल जाए सागर ना मिले तो एक किनारा मिल जाए खड़ी हूं वहा राह तकती अपने कान्हा की किसी…
बात एक ऐसी शख्सियत की जिनकी कलम से दनादन निकलने वाले धारदार शब्दों को जब एक छोटा सा कागज का पन्ना गिरफ्तार करता है तो वह भी सोचने को बाध्य…
कृष्णा को कृष्ण की तलाश मौन अधर रख इंसान क्यों फिर भी बेबाक है ना जाने क्या चाहत उसकी, और क्या पाने को तैयार हैं ना चाह कर भी, रोक…