समय का पहिया जब चलता है तो घूम के एक बार सब के पास आता है
आशा और अविनाश की नई शादी हुई थी आशा की लव विथ ऑरेंज शादी थी घर परिवार में सब खुश थे।पर आशा थोड़ी परेशान क्योंकि अविनाश का परिवार बड़ा था उसको लगा कि कैसे सब को खुश करेगी और कुछ गलत हो गया तो ।इस ही परेशानी में उस ने पहली रसोई बनाई और खाना सब को पसंद आया अविनाश दिल्ली काम करता था तो दोनों का आना जाना लगा रहता था।और ऐसे ही कई साल निकाल गए ।ससुराल में सब पसंद करते थे पर कभी कभी उसकी छोटी नंद उसको लो बला आ गई बोलती पर आशा ने बुरा नहीं माना उसे लग बच्ची है सब ठीक हो जायेगा ।एक दिन आशा बहुत बीमार थी आशा के दो बेटे भी थे और अविनाश भी अपने परिवार के लिए सब करते थे जो एक आदर्श बेटे को करनी चाहिए। पर आशा को लगता था की उसको वो प्यार और इज्ज़त नही मिलती जो मिलनी चाहिए फिर भी वो खुश हो जाती कभी तो समय बदलेगा और सब हम को पसंद करेंगे।हां तो कहानी पर आते हैं आशा बहुत बीमार उसने अपने पति से कहा की छोटी नंद को बुला लो ।अविनाश ने घर पर बात की पर घर से कोई नहीं आया ।आशा को बहुत गुस्सा आया पर वो गुस्सा सह गई।आशा को रोना भी आता की अविनाश को सुबह मेरा काम और खाना बना कर जाना होता फिर रात को जल्दी आ कर फिर काम करते । ऐसे ही कई साल निकाल गए ।पर अब समय ने करवट ली थी। जानवी की शादी थी।जानवी जो आशा की नंद का नाम शादी बड़े धूम धाम से हो गई।
जानवी का छोटा परिवार था एक नंद और सास भी बिल्कुल ठीक हस्तपुष्ट थी।और सभी काम करने में समर्थ थी।पर वो इतनी चालक थी कभी भी उनका काम में हाथ नहीं बाटती थी।एक दिन जानवी बीमार हो गई फिर भी काम कर रही थी।
उसकी सास ने बाहर पड़ोस में गई थी
आचनक मैं और अविनाश दीदी के घर पहुंचे और देखा की दीदी को बहुत बुखार था । मैंने कहा दीदी आप की सास कहा है और आप की नंद ,
जानवी ने बोला वो पड़ोस में गई है और दीदी अंदर है मुझे अपना वही दिन याद आ गया, पर मैं ये नहीं देख सकती थी, मैं ने दीदी से आराम कर ने को कहा और मैं काम करती हूं।
मैंने सारा काम कर दिया उतने में उनकी सास आ गई फिर क्या था अविनाश ने उनको और उनके ससुर को गुस्सा किया की आप की बेटी के साथ ऐसा हो और उसे कुछ हो जाए तो तुम क्या करोगे ये तुम्हारी बहु है या आप की गुलाम थोड़ी तो इंसानियत रखो।और ये बोल कर हम दोनों जानवी को अपने घर ले आ गए।
जानवी ने भाभी से बोला भाभी आप ने कितना सहन किया फिर आप ने मुझे बचा लिया और मेरा परिवार की आंख भी खोल दी। मैंने कहा दीदी ये समय का पहिया है एक बार सब के पास घूम कर आता है।
✍️पूजा भारद्वाज
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