‘महिला दिवस’ के शुभ दिवस की हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ

अब समय को फिर से मोड़ा जायेगा।
आसमां से रंग निचोड़ा जायेगा।
फिर से इक गंगा उतारी जायेगी,
और रथ लवकुश सा रोका जायेगा।।

मोड़कर नदियों की धारा लायेंगे।
तीर अर्जुन के भी बन दिखलायेंगे।
फिर से रामायण हमें लिखनी पड़ेगी,
पर सभी किरदार बदले जायेंगे।।

अवतरित कोई यहां ना कृष्ण होंगे।
द्रोपदी की चीख के ना प्रश्न होंगे।
भीष्म तोड़ें मौन ना होगी प्रतीक्षा,
हम स्वयं अब काल के परिदृश्य होंगे।।

अब हांथ में सम्मान की तलवार होगी।
भाग्य खुद का लिख सके वो धार होगी।
होगी हर नारी स्वयं दुर्गा भवानी,
अपने हर इक हक की अब हकदार होगी।।

अपने हर इक हक की अब हकदार होगी।।

शोभा सचान 🌹🌹

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