मैं एक धारा
बहती हूं धारा के संग
कहीं तो सागर मिल जाए
सागर ना मिले तो
एक किनारा मिल जाए
खड़ी हूं वहा राह तकती
अपने कान्हा की
किसी भी क्षण उसकी मुरली
की मधुर धुन सुन
बन जाऊं मीरा सी बावरी मैं
और प्रेम में करूं,
तो राधा सी दीवानी मैं
बस इसी आस में खड़ी
कहीं तो कोई सहारा मिल जाए।
✍️पूजा भारद्वाज