अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफ़ेयर एसोशिएसन
पंजाब व हरियाणा के बॉडर पर तीन दिन से किसानों के साथ बैठे भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल की एक वीडियो वाइरल हुई है,जिसने उन्होंने कहा है कि राम मंदिर बनाने के बाद जो पीएम मोदी का ग्राफ बहुत बढ़ गया है, इसे नीचे लाना है।

आंदोलन में शामिल पंजाब के किसान नेता तेजवीर सिंह का एक विडियो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है,जिसमें वो किसान आंदोलन के जरिए देश की सरकार बदलने की बात कर रहे हैं।इतना ही नहीं वो किसान आंदोलन को विपक्ष की लड़ाई लड़ने वाला भी बता रहे हैं।
यही नहीं किसान आंदोलन को कवर कर रहे है बहुत से यूट्यूबरों, मीडिया हाउसेस के विडियो देखने के मिल रहे हैं,जिन्हें यहां दिखाया भी नहीं जा सकता है। इन्हें देखकर आप यही कह सकते हैं कि किसान आंदोलन भ्रमित है या गलत लोगों के हाथ है। बहुत से किसान इंडिपेंडेंट पंजाब या खालिस्तान की बात करते हुए मिलते हैं, तो कुछ तो पीएम नरेंद्र मोदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए मिल जाते हैं।
26 जनवरी 2021 को लालकिले में घुसकर उपद्रव मचाने वाले ‘पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति’के महासचिव सरवन सिंह पंढेर इस बार के किसान आंदोलन के सबसे खास स्तंभ हैं।
इस आंदोलन में हरियाणा से बीकेयू (शहीद भगत सिंह) अंबाला, एसकेएम (बलदेव सिंह सिरसा) अमृतसर, लखविंद्र सिंह का एक छोटा समूह और फतेहाबाद में खेती बचाओ संगठन से जुड़े रहे सरपंच जरनैल सिंह शामिल हैं।पंजाब में पीएम मोदी का काफिला रोकने की जिम्मेदारी लेने वाले संगठन “भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी” संगठन भी इस आंदोलन में शामिल है।
अब ऐसे में किसान आंदोलन पर कुछ सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की छवि को खराब करने के लिए राजनीतिक मंशा से किसान आंदोलन किया जा रहा है। आखिर बिना राजनीतिक दलों के सपोर्ट के इतना बड़ा आंदोलन इतनी जल्दी कैसे खड़ा हो सकता है।
जिस तरह किसान नेताओं के विडियो सामने आ रहे हैं उससे यह बात क्लीयर होती जा रही है कि इस बार किसान आंदोलन का मुख्य उद्दैश्य एमएसपी पर गारंटी नहीं है।किसानों के नाम पर शुरू किए गये इन आंदोलनों का असली इरादा मोदी सरकार को हटाने का ही रहा है।
देश में मौजूदा एमएसपी व्यवस्था में पंजाब में खाद्यान की सौ प्रतिशत ख़रीद एमएसपी पर ही होती है।फिर भी पंजाब के ये नेता एमएसपी क्यों माँग रहे है, यह समझ से परे है।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के इस वीडियो से साफ़ संकेत मिल रहे है कि राम मंदिर बनाने के बाद से प्रधानमन्त्री मोदी की जो छवि बनी है, उसे गिराने के लिए राजनीतिक उद्देश्य के तहत किसानों को खड़ा किया गया है।और इस किसान आंदोलन का उद्देश्य लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमन्त्री मोदी के ख़िलाफ़ माहौल बनाने का है।
मोदी सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल में एमएसपी की ख़रीद में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है तथा अधिक किसानों को एमएसपी का लाभ मिला है।मोदी सरकार से पहले मनमोहन सरकार के दस वर्ष कार्यकाल में 4.40 लाख करोड़ का धान ख़रीद एमएसपी पर हुई थी,जबकि मोदी सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल में 12.18 करोड़ की ख़रीद एमएसपी पर हुई है।
मोदी सरकार के कार्यकाल में फर्टिलाइजर पर किसानों को वर्ष 2022-23 में 2.51 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी, जबकि मनमोहन सरकार के समय उर्वरक सब्सिडी 2013-14 में सिर्फ 71 हज़ार करोड़ रुपये थी।
पिछली बार के मुख्य नाम गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), योगेंद्र यादव, अविक साहा, भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के अध्यक्ष अजमेर सिंह लक्खोवाल, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सतनाम सिंह पन्नू, जम्हूरी किसान सभा के प्रेसिडेंट सतनाम सिंह अजनाला, महिला किसान अधिकार मंच की संस्थापक सदस्य कविता कुरुगंटी और राष्ट्रीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक शिवकुमार शर्मा उर्फ ‘कक्का’ आदि लोग दिल्ली को घेरने में इस बार शामिल नहीं है,लेकिन ये मोदी विरोध के अवसर की तलाश में थे और आज इस गुट ने ग्रामीण भारत बंद की कॉल दी है।
हमारा संगठन किसानों की वास्तविक समस्या सरकार के सामने रखता है। हम किसानों से अपील करते है कि पंजाब के दो किसान संगठनों का दिल्ली चलो आंदोलन प्रधानमंत्री मोदी की छवि को खराब करने के लिए राजनीतिक मंशा से किया जा रहा है, इसलिए किसानों को इससे दूर रहना चाहिए।

फोटो-अशोक बालियान

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