विकास बालियान

मुजफ्फरनगर ( कृन)। एक संघर्षकृता, स्पष्ट वक्ता, निर्भीक, जुझारू, विनोद व्यक्तित्व का चले जाना बहुत दुखदाई, उनके कार्यों को लंबे समय तक याद किया जाएगा। यह एक बड़ी क्षति है।

कार्यकर्ताओं के लिए, मुद्दो के लिए, किसान हित के लिए सदैव समर्पित रहे पूर्व प्रमुख वीरेंद्र सिंह कुतुबपुर के किए गए कार्य के लिए लोग उन्हें लंबे समय तक याद रखेंगे।

2013 के दंगे से पहले जाटों को लामबंद करना, केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान को राजनीतिक गैर राजनीति की क ख ग सिखाने वाले वीरेंद्र सिंह कुतुबपुरिया ओजस्वी वक्ता भी थे जब वह बोलते थे तो सभा में सन्नाटा सा छा जाता था। लोगों उन्हें बहुत गौर से सुना करते थे। वह अपने सभा में बोलने के दौरान चुटकुले, कहानी या घटनाओं को लच्छेदार भाषा और भाव से सुनाया करते थे और आम लोगों को खुद से सीधे जोड़ लेते थे।


वह समाचार पत्र, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, डिजिटल मीडिया द्वारा बहुत पसंद किए जाते थे और उनकी कई बातों को प्रिंट मीडिया मुख्य तौर पर प्रकाशित करता था, तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया डिजिटल मीडिया उनके कथन को बार-बार दिखाया करता था।

बहुत कम लोगों को मालूम है कि 31 अगस्त को जो पंचायत नगला मंदौड़ के मैदान में हुई थी, उसे आयोजित कराने में वीरेंद्र सिंह कुतुबपुरिया का बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने ही 7 सितंबर की पंचायत करने की भी घोषणा की थी हालांकि उन्हें २ दिन पहले 5 तारीख को गिरफ्तार कर लिया गया था। वह मुसलमान के विरुद्ध नहीं थे। लेकिन राकेश टिकैत द्वारा 30 तारीख को 31 सितंबर को होने वाली पंचायत को वापस लेने की घोषणा से वह खिन्न थे और उन्होंने अपनी मित्र मंडली रणनीतिकारों के साथ बैठकर 31 तारीख की पंचायत जरूर होगी यह तय कर दिया था। उनका मानना था कि 31 तारीख की पंचायत रद्द कर देने से जाटों की स्थिति कमजोर दिखाई देगी और एक तरह से यही संदेश जाएगा कि जाट डर गए हैं और पीछे हट गए हैं।

एक समय चौधरी टिकैत के सर्वाधिक करीबी रहे वीरेंद्र सिंह कुतुबपुरिया कई किसान आंदोलन, सभाओ, कार्यक्रमों के संचालक भी रहे। उन्होंने विधायक बनने हेतु टिकैत के कहने पर चुनाव भी लड़ा।

वह भाजपा से भी गहरे से जुड़े हुए थे और उसकी नीतियों में विश्वास करते थे हालांकि भाजपा में वह सक्रिय रूप से शामिल होकर कार्य नहीं कर रहे थे।

जब देश किसानों के लिए आए तीन कानून को किसान संगठनों के द्वारा काला कानून बताए जाने के बाद 13 महीने के लंबे संघर्ष को देख रहा था उस वक्त वीरेंद्र सिंह कुतुबपुर खुले तौर पर आंदोलन पर व्यक्ति विशेष को घेर रहे थे।

वे निर्भीक थे और किसी भी मुद्दे पर बेबाकी से बोला करते थे।

2012-13 में मेरठ कमिश्नरी पर सरदार वीएम सिंह के नेतृत्व में चले किसान आंदोलन में वह प्रतिदिन उपस्थित रहते थे और उस समय उनका उस आंदोलन को सफल बनाने में विशेष योगदान था।

कैबिनेट सेक्रेटरी स्वर्गीय शशांक शेखर के वह चचेरे भाई थे।

ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें और उनकी आत्मा को शांति दे।
ॐ शांति 🙏🙏🙏💐💐💐💐

#वीबा

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