Category: कविता/शायरी

डर

हमको किसी से डर नहीं, चुपके चुपके रह धीरे धीरे बोलूँ ! सुनना है जिन्हें सुन ले यहाँ कोई बात की गम नहीं! आये हैं मिट्टी से निर्मित बदन में…

फर्ज़ और लड़के लड़कियों में अंतर

माता-पिता की ज़मीन जायदाद का हिस्सा मिलने पर खुश होने वाली लड़कियाँ, माता-पिता का खर्च उठाने ,उनकी सेवा करने,उन्हें अपने घर रखने से कतराती क्यों है ?अधिकार चाहिए तो फ़र्ज़…

यादें

यादें होती हैं, धरोहर! जैसे -मां सम्हाल कर रखती है, हमारे बचपन के कपड़े और खिलौने। जैसे -सूरज आश देकर जाता है कल सुबह आने की, जैसे -शशि सोलह कलाओं…

भराव

मेरी आंखें भरी है, हर उस चीज के प्रति, जो सिर्फ देती है दिखाई, जिनमें नहीं होती भावनाओं का एहसासों की गहराई ! मेरा मन भरा है, हर उस चीज…

लंका का लोकतंत्र व्यंग का अनूठा संग्रह

बात एक ऐसी शख्सियत की जिनकी कलम से दनादन निकलने वाले धारदार शब्दों को जब एक छोटा सा कागज का पन्ना गिरफ्तार करता है तो वह भी सोचने को बाध्य…